देश में धर्म और धर्मांतरण को कुछ इस तरह सख्त बनाया जाने की प्रक्रिया जारी है. जिससे आने वाले समय में पहले, जिस सहजता से धर्मांतरण हो जाते थे, कोई भी नागरिक आसानी से अपना धर्म परिवर्तन कर लेता था अब ऐसा संभव नहीं हो पाएगा. इस पर सीधे-सीधे राज्य का हस्तक्षेप होगा. इसका एक मूल कारण है, वह है भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा को पोषित करने वाली राज्यों की सरकार.
आमतौर पर धर्म छोड़ने या किसी अन्य धर्म में आस्था का एक बड़ा कारण धार्मिक प्रताड़ना अथवा विवाह हुआ करता था. देश में अनेक बड़े चर्चित लोगों ने अन्य धर्म के महिला अथवा पुरुष मित्र के विवाह को लेकर धर्मांतरण किया है. जिसमें आज सबसे बड़ा उदाहरण है भारतीय जनता पार्टी की सांसद हेमा मालिनी और उनके पति धर्मेंद्र.
दरअसल, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित भाजपा शासित राज्यों में हाल के दिनों में इसी तरह के विधेयक पारित किए गए हैं . हरियाणा भी इस दिशा में आगे बढ़ गया है और शीघ्र ही इस संदर्भ में एक सख्त कानून खट्टर सरकार ला रही है. अब अधिसूचित नियमों के अनुसार, कोई भी शख्स जो दूसरे धर्म में परिवर्तित होना चाहता है, उसे इस तरह के परिवर्तन से पहले, जिले के जिला मजिस्ट्रेट को फार्म ‘ए’ में एक घोषणा पत्र देना होगा, जिसमें वह स्थायी रूप से रह रहा है. इसके मुताबिक, यदि धर्मातरण का इरादा रखने वाला व्यक्ति नाबालिग है, तो माता-पिता या दोनों में से जो भी जीवित हो, को फार्म ‘बी’ बयानी, में एक घोषणा-पत्र देना होगा. नियम बनाए गए हैं- ‘कोई भी धार्मिक पुजारी और / या कोई भी व्यक्ति जो अधिनियम के तहत धर्मांतरण का आयोजन करना चाहता है, उसे उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट को फार्म सी में पूर्व सूचना देनी होगी, जहां इस तरह के धर्मांतरण का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है.’
———————————- धर्मांतरण के नियमों में बदलाव
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दरअसल, दुनिया भर में यह माना जाता रहा है कि धार्मिक आस्था का विषय व्यक्ति का अपना निजी है. कोई व्यक्ति किस धर्म में आस्था रखता है अथवा आगे धारण करना चाहता है व्यक्ति पर उसका निजी अधिकार है. परिणाम स्वरूप कोई भी बालिग व्यक्ति कभी भी किसी भी सोच के तहत धर्म परिवर्तन कर सकता था मगर अब इसी एजेंडे के तहत कठोर नियमों में बांधा जा रहा है. अब जो नियम बनाए जा रहे हैं उनके अनुसार – जिलाधिकारियों को एक सार्वजनिक नोटिस धर्मांतरण के कारण, कितने समय से वे उस धर्म में है प्रकाशित करना होगा और इच्छित धर्मांतरण के का पालन कर रहे हैं जिसे वह छोड़ने का लिए लिखित में आपत्तियां, यदि कोई हो, फैसला कर रहे हैं, आमंत्रित करनी होंगी. इस तरह के नोटिस जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में ऐसे व्यक्ति द्वारा यदि जिला मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि कहा गया है कि जिला घोषणा पत्र दिए जाने जो सोच-समझ कर बल के उपयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी धोखाधड़ी के माध्यम से या शादी से या शादी के उद्देश्य से दूसरे धर्म में परिवर्तित
के बाद लगाए जाएंगे बल या प्रलोभन का उपयोग किया गया है या मजिस्ट्रेट इस तरह के उसकी आशंका है तो वह जांच के दौरान धर्मांतरण के लिए लिखित ‘बिना किसी गलत प्रस्तुत सभी सामग्री के साथ मामले को दर्ज आपत्तियों की प्राप्ति पर… करने और इसकी जांच के लिए संबंधित पुलिस थाने को संदर्भित कर सकता है.
घोषणा-पत्र देते समय ऐसे व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति के हैं, अथवा अन्य, व्यवसाय और मासिक आय जैसे विवरण निर्दिष्ट करने होंगे. नियमों में ऐसे अधिकारी या एजंसी द्वारा मामले की जांच- पड़ताल करवाएगा, जिसे वह उचित समझे सत्यापन के बाद, यदि जिला मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि बल या प्रलोभन का उपयोग किया गया है या उसकी आशंका है तो वह जांच के दौरान प्रस्तुत सभी सामग्री के साथ मामले को दर्ज करने और इसकी जांच के लिए पुलिस थाने को संदर्भित कर सकता है. नियम कहते हैं कि जिला मजिस्ट्रेट, अगर इस बात से संतुष्ट हैं कि धर्मांतरण मर्जी से किया गया है और बिना किसी गलत बयानी के, बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव जबरदस्ती प्रलोभन या किसी धोखाधड़ी के माध्यम से या शादी या शादी के लिए किया गया है, तो इस आशय का एक प्रमाण पत्र जारी करेगा.
जिलाधिकारी के आदेश पारित करने के बाद यदि किसी को आपत्ति है तो वह 30 दिनों के अंदर मंडलायुक्त से अपील कर सकता है. धर्मांतरण रोधी कानून के तहत, धर्मांतरण को गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, विवाह या किसी अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण कराने के उद्देश्य से नहीं किया गया था, इसका साक्ष्य उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी आरोपी पर है. कुल मिलाकर के भाजपा शासित राज्यों में नियम कायदे धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर कुछ इस तरह बन रहे हैं कि राज्य अब धर्मांतरण मसले पर पक्षकार बन रहा है और कोई भी व्यक्ति अगर धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो राज्य सरकार को संतुष्ट किए बिना नहीं कर सकता.