Reel vs Real Heeramandi : संजय लीला भंसाली की फेमस वेब सीरीज 'हीरामंडी' को लोगों ने काफी पसंद किया. इस सीरीज को OTT प्लेटफौर्म नेटफ्लिक्स पर 1 मई को रिलीज किया गया. क्या आप जानते हैं, यह सीरीज लाहौर के कोठे (अब पाकिस्तान में है) मुजरा करने वाली की कहानी है. हालांकि इस साीरीज में 'हीरामंडी' की कहानी को काफी बढ़ाचढ़ा कर दिखाया गया है, लेकिन हकीकत में हीरामंडी की स्थिति कुछ और ही है. आज हम आपको इस आर्टिकल में लाहौर के 'अय्याशी का अड्डा' से रूबरू कराएंगे.
इस तरह दिखता है पाकिस्तान का हीरामंडी
https://www.instagram.com/reel/C708yFHxqJT/?igsh=MWxtN3R2YzBsYXY2bw==
'हीरामंडी' पाकिस्तान के लाौहर जिले का रेडलाइट एरिया है. इस मंडी में पहले हीरे जवाहरात बिका करते थे, इसलिए इसे हीरामंडी कहा जाने लगा, लेकिन 'हीरामंडी' सीरीज में वेश्याओं के बसेरा को आलीशान महल के रूप में दिखाया गया है. मुजरा करने वाली महिलाओं के रहनसहन का तरीका भी बिलकुल ही अलग दिखाया गया है.
असलियत में हीरामंडी की तवायफ पहनती थीं ये कपड़े
'हीरामंडी' की एक्ट्रेसेस जो तवायफ के किरदार में हैं, इनके परिधान को यूरोपियन टच देकर बनाया गया है. यूं कहें तो इन तवायफों को शाही लुक दिया गया है, जो महलों में रानियां पोशाक पहनती हैं और उनके अलग ठाठबाट होते हैं, लेकिन असलियत में हीरामंडी झुग्गी-झोपड़ी जैसा दिखता है और यहां पर रहने वाली वेश्याएं भी गरीबी के दौर से गुजरी हैं.
'हीरामंडी' क्यों रखा गया यह नाम
हीरामंडी का नाम हीरा सिंह के बेटे ध्यान सिंह डोगरा के नाम पर रखा गया है, जो महाराजा रणजीत सिंह के प्रधानमंत्री थे. ब्रिटिश शासन के दौरान यह जगह शुरू में हीरा दी मंडी नामक अनाज की मंडी थी. हालांकि बाद में यह मुगल काल के दौरान तवायफों का बसेरा बन गया.
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