Print Media : सोशल मीडिया ने स्मार्टफोन के जरिए जनजन तक अपनी पैठ भले ही बना ली हो लेकिन प्रिंट मीडिया के सामने वह बौना साबित हुआ है. प्रिंट मीडिया में जहां हर खबर जांचपड़ताल के बाद ही प्रकाशित की जाती है वहीं सोशल मीडिया पर वायरल हुई खबर का कोई ठौरठिकाना नहीं रहता.

आज के तकनीकी युग में सोशल मीडिया ने अपनी खास पहचान बनाई है. गृहिणी हो या सैलिब्रिटी, स्टूडैंट हो या टीचर हरकोई सोशल मीडिया पर व्यस्त है. वर्तमान दौर में इस का सब से बड़ा वाहक बन गया है स्मार्टफोन, तरहतरह के ऐप्स से लोडेड स्मार्टफोन से दुनियाभर के तमाम काम संपन्न हो रहे हैं. इस के अलावा अब स्मार्टफोन समाचारों के प्रसार का भी सुलभ माध्यम बनता जा रहा है. कहीं भी कोई घटना घटी नहीं कि लोग अपना स्मार्टफोन निकाल कर तुरंत उस का वीडियो बना कर अपने फ्रैंड्स को भेज देते हैं. जो नहीं कर पाते वे मोबाइल से मैसेज या घटना का ब्योरा तो बता ही देते हैं और तुरंत ही एक से दूसरे फोन पर पहुंच यह वायरल भी हो जाता है.

सोशल मीडिया का सब से खास और हर हाथ सुलभ साधन स्मार्टफोन न्यूज का प्रमुख वाहक है, लेकिन क्या इस पर प्रसारित न्यूज वास्तव में न्यूज कही जा सकती है?

संपादन का अभाव

सोशल मीडिया पर जो भी न्यूज प्रसारित की जाती हैं उन का कोई ओरछोर नहीं होता. वे या तो किसी व्यक्ति द्वारा मोबाइल से बना कर डाल दी जाती हैं या फिर व्यक्ति विशेष के अपने विचार होते हैं, जिन का किसी प्रकार से संपादन भी नहीं किया गया होता, न ही इन खबरों के मुख्य तथ्यों की कोई जांच होती है और न ही आंकड़ों का अध्ययन. बस, एक ने खबर या पोस्ट बनाई और दूसरे के पास जस की तस फौरवर्ड कर दी.

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