इंसान के अंदर छिपा कोई भी टैलेंट उम्र या किसी और चीज का मोहताज नहीं होता. अगर अपने देश की बात करें तो हमारे यहां के एक नहीं कई नौनिहालों ने यह बात सिद्ध कर के दिखाई है. इन बाल प्रतिभाओं ने अपने टैलेंट से भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में नाम रोशन किया है.

हुनरबाज बच्चों में 6 साल के तबला मास्टर तृप्तराज पंडया का नाम गिनीज बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड्स में शामिल हुआ तो हरियाणा के कौटिल्य पंडित ने भी गूगल बौय के रूप में मशहूर हो कर अपनी पहचान बनाई. इसी तरह त्रिपुरा के 4 साल के अंशुमान नंदी ने अपने कौशल से खुद को भारत के सब से कम उम्र के ड्रमर के रूप में साबित किया.

जिस तरह तमिलनाडु के रहने वाले 12 वर्षीय चित्रेश टाथा का भी नाम है, जिस ने नौकायन में महारत हासिल की. 14 साल के अरविंद चितंबरम की भी कुछ अलग ही बात है, जिस ने विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ कर शतरंज के मास्टर खिलाड़ी के रूप में देशविदेश में अपने नाम के साथसाथ देश के भी झंडे गाड़े हैं.

16 साल के दिव्यांग मोइन एम. जुनेदी को वर्ल्ड गेम्स में 50 मीटर बैक स्ट्रोक गोल्ड मैडल जीतने में कोई नहीं रोक सका, जो अब सब से छोटी उम्र के तैराकों में शामिल हैं. उन्हें लोग वंडर बौय के नाम से भी जानते हैं.

गुजरात के रहने वाले 14 साल के हर्षवर्द्धन झाला एक दिन टीवी पर एक साइंस डाक्युमेंटरी देख रहे थे, जिस में उन्होंने देखा कि लैंडमाइंस को निष्क्रिय करते वक्त काफी सैनिक या तो घायल हो जाते हैं या मौत के मुंह में चले जाते हैं.

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