वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली इटली के रहने वाले थे. 1609 में उन्हें पता चला कि हॉलैंड के कुछ वैज्ञानिकों ने एक दूरबीन बनाई है. फिर क्या था, उन्हें भी दूरबीन बनाने का जुनून सवार हो गया और यह जानकार हैरानी होगी कि गैलीलियो ने महज यह बात सुनकर ही हालैंड के वैज्ञानिकों से कहीं बेहतर दूरबीन बना ली, क्योंकि उन्हें दूरबीन बनाने को लेकर जुनून सवार हो गया था. यह बिल्कुल सही कहा जाता है कि जुनून शुरुआत है जीनियस होने की. गैलीलियो ही नहीं दुनिया का कोई भी वह वैज्ञानिक जिसने जीवन को उलट पलट कर देने वाली खोज की है, ऐसे सभी वैज्ञानिक धुन के बहुत पक्के रहे हैं.
इतिहास की जितनी भी बड़ी सफलताएं हैं- चाहे भयानक युद्धों में जीत हासिल करना रहा हो, चाहे विज्ञान की कोई असम्भव सी लगने वाली खोज रही हो, चाहे कारोबार में झंडा बुलंद करने का ख्वाब रहा हो. ये तमाम सफलताएं जिस एक चीज के चलते मिली हैं, उसे जुनून कहते हैं. इंसान के जुनून के सामने इंसान ही नहीं कुदरत की भी हर बाधा को हार माननी पड़ी है. ‘पॉवर ऑफ पैशन इज अल्टीमेट पॉवर’, लग्न की शक्ति ही निर्णायक शक्ति है. ज्यादा दूर क्यों जाते हैं. भारत के मारवाड़ी समाज को ही देख लें. मारवाड़ियों की आबादी देश की कुल आबादी का 1 प्रतिशत भी नहीं है, लेकिन देश की जीडीपी में इस समाज का 20 प्रतिशत से भी ज्यादा योगदान है. देश की संपत्ति का 28 प्रतिशत सिर्फ अग्रवाल समाज के पास है. क्या कभी आपने सोचा है, इसकी वजह क्या है? जी, हां! इस सम्पन्नता का और सफलता का राज है जुनून.
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अपने काम को लेकर जुनून होना, सफलता की तकरीबन गारंटी है. दुनिया में ऐसी अनगिनत सफल शख्सियतें हुईं हैं जिनकी सफलता का सबसे बड़ा आधार उनका जुनून रहा है. यह जुनून ही था जो इन लोगों की रगों में खून बनकर दौड़ता था. यह जुनून ही था जो इन्हें गर्मी, सर्दी भूख और बीमारी तक का एहसास नहीं होने दिया, जब तक इन्हें सफलता नहीं मिल गई. आज तक दुनिया के सबसे सफल संगीतकार माने गये बीथोवन इतने जुनूनी थे कि वह जब किसी धुन की रचना कर रहे होते और कई कई दिनों तक बिना सोए धुन की खोज में डूबा रहना पड़ता तो वह नींद न आये इसलिए कम से कम खाना खाते थे. इसके बाद भी अगर नींद आती थी तो अपने सिर को ठंडे पानी में डुबो देते थे. वह तभी आराम करते थे, जब वह मन माफिक धुन रच डालते थे, इसके पहले नहीं. बीथोवन कहा करते थे, ‘हम अगर सीखना न छोड़ें और जुनून को गलबहियां डालें तो हर वह काम कर सकते हैं, जिसे असंभव कहते हैं.’
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अल्बर्ट आइंसटाईन भी हद दर्जे के जुनूनी थे. वह तो साफ कहते थे, ‘मेरे पास कोई खास टैलेंट नहीं है. मैं तो बस जुनून की हद तक जिज्ञासु हूं. यही मेरी सफलता का राज है.’ जी, हां! अगर सपनों की उड़ान को जुनून के पंख मिल जाएं तो सपनों को सच करना हमेशा चुटकी बजाने भर का काम होता है. हां, एक बात जरूर याद रखना चाहिए जुनून के साथ यह भी तय हो कि हमारा जुनून सही और सकारात्मक दिशा में है या नहीं? क्योंकि अगर हमने गलत दिशा में अपने जुनून को झोंक दिया तो सफलता तो मिलेगी, लेकिन वह हमें विख्यात नहीं कुख्यात करेगी. अगर हमने गलत दिशा में जुनून को झांेक दिया तो वह एक झटके में ही हमें अर्स से फर्श में पहुंचा सकता है. इसलिए कहां, जुनून का इस्तेमाल करें इसकी समझ का होना भी बहुत जरूरी है. सफलता इसी संतुलित समीकरण का नतीजा होती है.
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बहरहाल जुनून हमारी सफलता में इसलिए बड़ी भूमिका निभाता है; क्योंकि वह इंसान के भीतर असीम ऊर्जा का संचार करता है. अब यह हम पर निर्भर करता है कि इस ऊर्जा का इस्तेमाल सकारात्मक सफलता हासिल करने के लिए करते हैं या नकारात्मक क्योंकि ऊर्जा जुनून तो देता है, चैन का विवेक उसकी जिम्मेदारी नहीं होती.
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इसलिए हमें यह खुद तय करना है कि हम अपने जुनून का इस्तेमाल मानवता की भलाई के लिए करना चाहते हैं या आतंकवादियों की तरह अपने तमाम साहस और दिलेरी का इस्तेमाल इंसानियत को नीचा दिखाने के लिए करते हैं. जुनून की ताकत यह होती है कि वह आपसे वह सब करवा लेता है, जो सामान्य तौरपर आप नहीं कर सकते. जुनून वास्तव में एक ऐसी ताकत है तो हर नामुमकिन को मुमकिन बना देता है. इससे जिंदगी में सफलता का हर वह बंद दरवाजा आसानी से खुल जाता है, जिसके खुलने की बड़ों-बड़ों को भी उम्मीद नहीं हुआ करते. इसलिए जब भी कोई लक्ष्य निर्धारित करें तो इसे हासिल करने में अपना सब कुछ झोंक दें. झोंक देने का यह जुनून कभी जाया नहीं होगा. यह आपको सफलता दिलाकर ही रहेगा.