देश में पिछले 7 वर्षों में 15 राज्यों की करीब 75 भरती परिक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं. इन पेपर लीक का सीधा असर 3.5 करोड़ अभ्यर्थियों पर पड़ा है, जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा तो बना लेकिन इस की तासीर ठंडी पड़ गई. ‘गुड गवर्नेंस’ की बात करने वाली सरकारों को पेपर लीक करने वाले गिरोह मुंह चिढ़ा रहे हैं. विपक्षी दलों के खिलाफ मोरचा खोलने वाली ईडी, सीबीआई भी इन पेपर लीक करने वालों के खिलाफ खामोश हैं. पेपर लीक होने के कारण परीक्षाएं रदद होती हैं जिस का असर युवाओं की जिंदगी पर पड़ता है.

जब भी गुड गवर्नेंस की बात होती है हर सरकार यह दावा करती है कि उस की सरकार गुड गवर्नेंस वाली है. गुड गवर्नेंस का दावा करने वाली ये सरकारें जब एक परीक्षा बिना पेपर लीक के नहीं करा सकतीं तो किस बात के लिए गुड गवर्नेंस का दावा करती हैं. एक परीक्षा में 5-5 साल लग जा रहे हैं. यह युवाओं के सपनों से खेलने जैसा है. अपराधियों पर बुलडोजर चलाने वाली यूपी सरकार भी पेपर लीक करने वालों के खिलाफ कमजोर पड़ गई. पेपर लीक करने वालो को मिटटी में मिला देने वाला काम नहीं हुआ.

2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात मौडल की चर्चा पूरे देश में हुई. गुजरात मौडल को विकास के मौडल के रूप में पूरे देश में बेचा गया. वह गुजरात भी पेपर लीक मसले में अछूता नहीं है. बीते सालों में गुजरात में 14 से ज्यादा पेपर लीक के मामले सामने आए हैं. जीपीएससी मुख्य अधिकारी, तलाटी परीक्षा, तलाटी सुरेंद्रनगर और गांधीनगर परीक्षा, शिक्षक योग्यता परीक्षा, मुख्य सेविका, नायब चिटनिस, दिसंबर लोक रक्षक दल, गैरसचिवालय क्लर्क, हेड क्लर्क, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय पेपर लीक, जीएसएसएसबी पेपर लीक, जूनियर क्लर्क परीक्षा, वन रक्षक परीक्षा, उपऔडिटर जैसी परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं.

इसी तरह से राजस्थान में 2015 से 2023 के बीच विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के 13 से अधिक पेपर लीक के मामले सामने आए हैं. राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) और राजस्थान अधीनस्थ और मंत्रालयीय सेवा चयन बोर्ड (आरएसएमएसएसबी) जैसी परीक्षाओं के पेपर भी लीक हो चुके हैं. पश्चिम बंगाल में पश्चिम बंगाल बोर्ड परीक्षा के पेपर पिछले 7 वर्षों में 10 बार लीक हुए हैं.

बंगाल पब्लिक सर्विस कमीशन का भी पेपर लीक हो चुका है. राजस्थान में 4 साल में 12 बार पेपर लीक की घटनाएं सामने आईं. 2019 के बाद से हर साल औसतन 3 पेपर लीक हुए हैं. इस से लगभग 40 लाख छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ है. राज्य में 2011 से 2022 के बीच पेपर लीक के लगभग 26 मामले दर्ज किए गए हैं. इन में से 14 पिछले 4 सालों में ही दर्ज हुए हैं. राजस्थान पेपर लीक मामले में भारत का हौट स्टेट बना हुआ है.

बुलडोजर की धमक वाले उत्तर प्रदेश में 2017 से 2022 के बीच पेपर लीक के 8 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. इंस्पैक्टर औनलाइन भरती परीक्षा, शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी), प्रारंभिक पात्रता परीक्षा, एनईईटी-यूजी परीक्षा और कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा जैसी परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं. यूपी पुलिस के 60 हजार 244 पदों के लिए 48 लाख से ज्यादा आवेदन आए, जिन में 16 लाख से ज्यादा लड़कियां शामिल थीं.

17 फरवरी को परीक्षा के दिन ही एक पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा. हालत ऐसी थी कि परीक्षा के दिन छात्रों को 50-50 रुपए में टैलीग्राम पर पेपर दिए गए, जिस के जवाब भी बिलकुल सही लिखे हुए थे. भारी हंगामे और विरोध के बाद 26 फरवरी को सरकार ने यह परीक्षा रद्द कर दी. उत्तर प्रदेश के पड़ोसी बिहार में कई परीक्षाओं में पेपर लीक होने के मामले सामने आए हैं. लीक हुए पेपर में बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड (बीएसईबी) के इंटरमीडिएट और मैट्रिक परीक्षाएं शामिल हैं. बिहार बोर्ड की कक्षा 10 की परीक्षा का पेपर अब तक 6 बार लीक हो चुका है.

दक्षिण भारत के राज्य भी अलग नहीं है. तेलंगाना में तेलंगाना लोक सेवा आयोग (टीपीएससी) की परीक्षा के पेपर के लीक होने के मामले सामने आए थे. टीपीएससी की इस परीक्षा में 25,000 से भी ज्यादा छात्रों ने भाग लिया था. पेपर लीक की जानकारी मिलने के बाद तेलंगना सरकार ने टीपीएससी की इस परीक्षा को रद्द कर दिया था. इस पेपर लीक से नाराज छात्रों ने विरोध प्रदर्शन करने के साथसाथ टीपीएससी के अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग भी की थी. तमिलनाडु में भी 2022 में कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक हो चुके हैं. तमिलनाडु पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा का पेपर लीक हो चुका है. महाराष्ट्र में कई पेपर लीक होने के मामले सामने आए हैं. महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) और महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (एमएसबीएसएचएसई) के परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं.

युवाओं के सपने तोड़ता पेपर लीक

देश के विभिन्न राज्यों में पेपर लीक के कई मामले सामने आने के बावजूद सरकार पेपर लीक के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाती है. ऐसे में युवाओं का भविष्य हर बार अधर में लटक जाता है. वे इस कदर टूट जाते हैं कि आत्महत्या जैसे घात्तक कदम भी उठा ले रहे हैं. युवाओं को लगता है कि ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा जो एक नौकरी न दिला सके. युवा सालोंसाल मेहनत करते हैं. फिर अचानक खबर आती है कि पेपर लीक हो गया. अकसर ऐसा भी होता है कि पेपर लीक होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी जाती है. परीक्षा रद्द होते ही उम्मीदवारों की सारी मेहनत और उम्मीदों पर पानी फिर जाता है.

छात्र सुनहरे भविष्य का सपना देख रहे होते हैं. रातदिन मेहनत कर परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. इन के घरवाले इस आस में थे कि उन का बेटा सरकारी नौकरी करेगा और उन की सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी. पेपर लीक के कारण उन की सारी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है. इस के चलते शादीविवाह तक नहीं हो पाते हैं.
पेपर लीक के बढ़ते मामलों ने उत्तर से ले कर दक्षिण तक छात्रों के भविष्य को अंधेरे में डाल दिया है. अपने घरपरिवार से दूर रह कर छात्र देश के अलगअलग शहरों में जा कर सालों तक पढ़ाई करते हैं. कई छात्रों की आर्थिक हालत ऐसी है कि उन्हें दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता, फिर भी वे मंजिल पाने के लिए हर मुश्किल पार करने के लिए तैयार हैं. लेकिन ‘पेपर लीक’ न उन को मंजिल तक पहुंचने दे रहा है और न ही उन के सपनों को सच होने देता है.

पेपर लीक के पीछे का अर्थतंत्र

पेपर लीक के पीछे पैसों का बड़ा अर्थतंत्र काम करता है. राजस्थान पेपर लीक के मामले में हुए खुलासे से पता चलता है कि इस के मास्टरमाइंड भूपेंद्र सारन ने पेपर को खरीदने के लिए एक शिक्षक को 40 लाख रुपए तक का भुगतान किया था, जिसे प्रति छात्र 5 लाख रुपए में बेचा था. कई बार परीक्षा सैंटर से भी पेपर लीक कर दिया गया. पेपर लीक का खेल इस तरह खेला जाता है कि एक पेपर को 25 से 50 लाख रुपए में बेचने की डील होती है. अब एक छात्र के लिए इतना बड़ा अमाउंट देना आसान तो है नहीं, तो एक साथ कई छात्रों को जोड़ लिया जाता है और फिर यही पेपर कम कीमत में, यहां तक कि 500 रुपए में भी, बिकता है.

प्रतियोगी परीक्षा पेपर लीक मामले की जांच में पुलिस ने पाया कि हर राज्य में पेपर को लीक करने का अलगअलग अंदाज था. मसलन असम में परीक्षा शुरू होने के कुछ सैकंडों में पूरे पेपर को व्हाट्सऐप पर लीक कर हजारों परीक्षार्थियों को भेजा गया था. मध्य प्रदेश की पुलिस जांच में सामने आया कि पेपर लीक के आरोपियों ने मुंबई की उस कपंनी के सर्वर को हैक कर लिया था जिसे परीक्षा का आयोजन करने की जिम्मेदारी दी गई थी.

महाराष्ट्र में सोशल मीडिया में पेपर लीक होने पर परीक्षार्थियों ने इस की शिकायत पुलिस में की थी. जबकि, पेपर लीक के मामले में टौप राजस्थान में पेपर को सोशल मीडिया पर नहीं बल्कि सरकार के औफिस से चुरा कर लीक किया गया था. वहीं यूपी पुलिस भरती परीक्षा में जांच के दौरान पता चला कि ट्रांसपोर्ट कौरपोरेशन की जिस कंपनी को पेपर प्रिंट होने के बाद वेयरहाउस से ट्रांसपोर्ट करने की जिम्मेदारी दी गई थी, उस की मिलीभगत से पेपर लीक का यह सारा खेल चला था.

पेपर लीक से बुरा और कुछ हो नहीं सकता

युवाओं के लिए पेपर लीक से बुरा और कुछ हो ही नहीं सकता. यह पूरी सरकार और उस के सिस्टम की विफलता है. छात्रों की पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है. वे अपने को असहाय समझने लगते हैं और अंत में गलत कदम उठाते हैं. पेपर लीक होना पूरे सिस्टम की नाकामी है. कुछ गलत लोग पूरे सिस्टम से खिलवाड़ करते हैं. सिस्टम में गलत लोगों का प्रवेश और गलत लोगों से संपर्क इस का प्रमुख कारण है. सिर्फ कुछ पैसे की खातिर प्रश्नपत्र लीक होते हैं.
पेपर लीक एक न ठीक होने वाले भयानक रोग जैसा है. इस से निबटने के सारे उपाय विफल हो जाते हैं. भारत में नौकरियों पर युवाओं का विशेष जोर होता है. हजारोंलाखों की संख्या में वे परीक्षा देते हैं. परिवार और समाज का सपना होता है. पेपर लीक की घटना उन सपनों को खत्म कर देती है.

बढ़ते पेपर लीक के मामलों के बाद केंद्र और राज्य सरकारें हरकत में आई हैं. इस अपराध को रोकने के लिए केंद्र सरकार लोक परीक्षा (कदाचार रोकथाम) विधेयक-2024 बनाया है. यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में पास भी हो गया है. इस विधेयक के मुताबिक सामूहिक तौर पर नकल करवाना गैरजमानती होगा. अगर कोई नकल करता पकड़ा गया तो उसे 3 साल की जेल और 10 लाख रुपए का जुर्माना भरना होगा. वहीं अगर कोई पेपर लीक में शामिल होगा तो 10 साल तक की जेल और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है.

देखना है कि इस का क्या प्रभाव पड़ता है. कहीं यह दूसरे कानूनों की तरह महज एक तमाशा तो बन कर नहीं रह जाएगा. भारत में तमाम ऐसे कानून बने हैं जिन का जमीनी प्रभाव बेहद कम पड़ा, तमाशा बन कर रह गए हैं. जब तक सरकार पेपर लीक को रोकने का काम नहीं कर पाती, उस की गुड गवर्नेंस की बात बेमानी है.

 

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