औनलाइन रिटेल सैक्टर से देश में कुछ अमीर पूंजीपतियों की मोनोपोली हो रही है. इन्हें डिलीवरी करने वाले युवाओं की फौज की भारी जरूरत महसूस होगी, जिन का काम सिर्फ सामान पहुंचाने का होगा. छोटे धंधों को चलाने वालों की अगली पीढ़ी बस यही काम करेगी

विशाल गोयल दिल्ली के बलजीत नगर इलाके में बड़े रिटेलर के तौर पर जाने जाते हैं. उन के पिताजी पी सी गोयल ने साल 1984 में छोटी सी किराना दुकान ‘भारत स्टोर’ (विशाल गोयल के बड़े भाई के नाम पर) नाम से शुरू कर इस धंधे में कदम रखा था. काफी पुरानी दुकान होने और इलाके में अच्छी पैठ होने के बाद धीरेधीरे छोटे दुकानदार उन से माल खरीदने लगे, इसलिए इन्हें यहां छोटे थोक विक्रेता के रूप में भी जाना जाने लगा. इसी दुकान से पूरे गोयल परिवार ने सफलता की इबारत लिखी.

एक समय छोटे से मकान में रहने वाला गोयल परिवार आज इसी इलाके में 3 मकान और एक बड़े गोदाम जितनी अचल संपत्ति इकट्ठा कर चुका है. महीने में लाखों का ट्रांजैक्शन होता है. विशाल गोयल अपने भाई के साथ इस पेशे में पिछले 15 सालों से हैं पर आज इतने सालों में यह पहला ऐसा मौका आया है जब उन्हें अपने व्यापार में रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है. इस का बड़ा कारण वे देश में बढ़ रहे औनलाइन कारोबार को मानते हैं.

दरअसल, बीते 2 सालों में लोगों ने बहुतकुछ देखा व सहा है. महामारी के दौर से जू?ाते हुए लाइफस्टाइल में काफी बदलाव हुए. समय की मांग और जरूरतों ने लोगों को नए जीवन में प्रवेश करने पर मजबूर किया. इसी बदलाव में औनलाइन कारोबार बड़े पैमाने में दबेपांव सरपट घरघर पहुंचा और अपनी स्वीकार्यता को दर्शाया भी. पहले इस ने गारमैंट्स, इलैक्ट्रोनिक्स सामानों की औनलाइन बिक्री से शुरुआत की, अब रिटेल और ग्रौसरी आइटम में सेंधमारी से पूरे मार्केट के हावभाव ही बिगाड़ कर रख दिए हैं, जिस के लपेटे में फिलहाल रिटेल सैक्टर है.

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