निर्भया गैंगरेप के चारों दोषी पवन, अक्षय, मुकेश और विनय को 20 मार्च तड़के साढ़े 5 बजे फांसी दे दी गई. फांसी देने से पहले चारों को मैडिकल किया गया, जिस में सभी फिट और स्वस्थ थे. जिसके बाद जेल में फांसी की प्रक्रिया पूरी कर उन्हें सजा ए मौत दी गई. इस दौरान तिहाड़ जेल को लौक डाउन कर दिया गया था और जेल के बाहर अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था.

फांसी के बाद 7 साल से इंसाफ का इंतजार कर रहीं निर्भया की मां आशा देवी ने मीडिया से बातचीत में बताया,"जैसे ही मैं सुप्रीम कोर्ट से लौटी, बेटी की तसवीर को गले से लगाया और कहा कि आज तुम्हें इंसाफ मिला."

हाईकोर्ट ने खारिज किया दोषियों की याचिका

शुक्रवार की आधी रात को दिल्ली हाईकोर्ट में चली सुनवाई में निर्भया के दोषियों की तरफ से फांसी पर रोक की याचिका लगा कर रोक की मांग की गई लेकिन, दिल्ली हाईकोर्ट ने किसी तरह की राहत से इनकार किया. उस के बाद निर्भया के गुनहगारों के वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

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मामले का घटनाक्रम

राष्ट्रीय राजधानी में 16 दिसंबर 2012 को 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के सनसनीखेज मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है :

  • 16 दिसंबर, 2012 : अपने मित्र के साथ जा रही एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ एक निजी बस में 6 लोगों ने बर्बरतापूर्वक सामूहिक दुष्कर्म करने और क्रूरतापूर्ण हमला करने के बाद उसे घायल हालत में उस के दोस्त के साथ चलती बस से बाहर फेंक दिया. पीड़ितों को सफदरगंज अस्पताल में भरती कराया गया.
  • 17 दिसंबर : आरोपियों पर कड़ी काररवाई की मांग करते हुए देशभर में भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.
  • पुलिस ने चारों आरोपियों- बस चालक राम सिंह, उस के भाई मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान की.
  • 18 दिस‍ंबर : राम सिंह सहित चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया.
  • 20 दिस‍ंबर : पीड़िता के दोस्त का बयान दर्ज किया गया.
  • 21 दिस‍ंबर : दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार किया गया. पीड़िता के दोस्त ने आरोपियों में से एक मुकेश की पहचान की. छठे आरोपी अक्षय कुमार सिंह को पकड़ने के लिए हरियाणा और बिहार में छापेमारी की गई.
  • 21-22 दिसंबर : अक्षय को बिहार के औरंगाबाद जिले से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया. पीड़िता ने अस्पताल में एसडीएम के सामने अपना बयान दर्ज कराया.
  • 26 दिसंबर : दिल का दौरा पड़ने के बाद पीड़िता की हालत और गंभीर हो गई जिसे देखते हुए सरकार ने पीड़िता को इलाज के लिए विमान से सिंगापुर के ‘माउंट ऐलिजाबेथ’ अस्पताल भेजा.
  • 29 दिस‍ंबर : पीड़िता ने गंभीर चोटों और शारीरिक समस्याओं से जूझते हुए तड़के करीब सवा 2 बजे दम तोड़ दिया. पुलिस ने प्राथमिकी में हत्या की धाराएं जोड़ दीं.
  • 2 जनवरी 2013 : तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने यौन उत्पीड़न मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालत का उद्घाटन किया.
  • 3 जनवरी, 2013 : पुलिस ने 5 वयस्क आरोपियों के खिलाफ हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक यौनाचार और डकैती की धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किए.
  • 5 जनवरी : अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया.
  • 7 जनवरी : अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई के आदेश दिए.
  • 17 जनवरी : त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू की.
  • 28 जनवरी : किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि एक आरोपी का नाबालिग होना सबित हो चुका है.
  • 2 फरवरी : त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए.
  • 28 फरवरी : किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए.
  • 11 मार्च : आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली.
  • 22 मार्च : दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मीडिया को निचली अदालत की कार्यवाही को रिपोर्ट करने की अनुमति दी.
  • 5 जुलाई : किशोर न्याय बोर्ड में नाबालिग आरोपी के खिलाफ सुनवाई पूरी हुई. किशोर न्याय बोर्ड ने 11 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित कर लिया.
  • 8 जुलाई : त्वरित अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही दर्ज की.
  • 11 जुलाई : किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार की घटना से एक रात पहले 16 दिसंबर को एक बढ़ई की दुकान में घुसकर लूटपाट करने का भी दोषी पाया. दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन अन्तर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को मामले की सुनवाई को कवर करने की अनुमति दी.
  • 22 अगस्त : त्वरित अदालत में चारों वयस्क आरोपियों के खिलाफ मुकदमे में अंतिम दलीलों पर सुनवाई शुरू हुई.
  • 31 अगस्त : किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए सुधार गृह में 3 साल गुजारने की सजा दी.
  • 3 सितंबर : त्वरित अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया.

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