भगवान की शरण में लोग जीवन की रक्षा के लिये जाते है. दुनिया पर जब ‘कोरोना वायरस’ का खतरा बढ रहा है तब मंदिरों में ताले लग रहे है. केवल बडे मंदिरों पर ही नहीं छोटे छोटे मंदिरों पर भी ताले लग रहे है. जनता को मंदिरों से दूर रहने को कहा जा रहा है जिससे पुजारी और भगवान सुरक्षित रह सके. कई मंदिरों में मूर्तियों को भी पुजारियों ने मास्क पहना कर यह बताने का काम किया है कि कोरोना वायरस से पीडितों की मंदिर भी मदद नहीं कर पायेगे. मुम्बई, शिरणी और उज्जैन जैसे बडे मंदिरों के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में ही लोगों को आने से रोका गया है. मनकामेश्वर मंदिर की मंहत देव्या गिरी ने कहा कि ‘कोरोना‘ महामारी से बचाव को देखते हुये मनकामेश्वर बाबा के दर्शन का लाभ 19 मार्च से 31 मार्च तक नहीं हो सकेगे.‘

25 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत हो रही है. जिसमें मंदिरों में भीड बढ जाती है. इस बार नवरात्रि में मंदिर सूने रहेगे. लोग अपने घरो में पूजा पाठ करगे. बडे मंदिरों की तर्ज पर अब छोटे मंदिर भी बंद हो रहे है. यही नहीं पूजा सामाग्री और इससे जुडे करोबार के लोग बता रहे है कि होली के बाद ही नवरात्रि की तैयारी होने लगती थी. इस बार कोरोना का डर इस कदर था कि होली के त्योहार में लोग होली मिलने से बचे. होली मिलन के सामूहिक कार्यक्रम भी नहीं हुये. इससे यह डर था कि मंदिरों में भीड नही होगी ऐसे में नवरात्रि के त्योहार फीके रहेगे. जैसे जैसे बडे मंदिरों के बंद रहने की सूचना आ रही है वैसे वैसे नवरात्रि में कम लोगों के शामिल होने का खतरा बढ रहा है.

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‘सोशल मीडिया‘ पर एक बात की चर्चा होने लगी है कि देश को मंदिरों की नहीं अस्पतालों की जरूरत है. ‘कोरोना‘ से मुकाबले के समय मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा और गिरिजाघर सभी मंे ताले लग गये. इस मुसीबत के समय लोगों को केवल और केवल अस्पताल और डाक्टरों से ही अपनी समस्या का निदान समझ आ रहा है. धार्मिक और आस्थावान लोग इस सोच से परेशान होकर कोरोना को हिन्दू सनातन धर्म से जोड कर प्रचार कर रहे है कि हिन्दू धर्म ही इससे बचाव में सक्षम है.इसमें सबसे बडा ‘नमस्ते‘ का जिक्र किया जा रहा है. धर्म का ऐसा प्रचार करने वाले लोग कहते है कि कोरोना को रोकने के लिये ‘हाथ मिलाने‘ की पश्चिमी संस्कृति की जगह पर ‘नमस्ते‘ करने की भारतीय संस्कृति का अपनाये.

असल बात यह ‘धर्म का प्रचार‘ करने वाले इस बात को करने भी लगे है कि ’कोरोना’ के भय से लोग धर्म में विश्वास खोते जा रहे है. कोरोना जब महामारी के रूप में लोगों के सामने है तो लोगों की मदद के बजाये मंदिरों में ताले लग गये है. ऐसे में अब सोशल मीडिया पर भी लोग चर्चा करने लगे है कि देश और समाज को मंदिरों की जरूरत है या अस्पतालो की. इस सवाल का जवाब धर्म का प्रचार करने वाले भी नहीं दे पा रहे है.

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