महानगरों में जैसे-जैसे रात ढलती है, शहर के कई ठिकानों पर मिलना मिलवाना के साथ-साथ ड्रग्स और वाइन की आगोस में कई पार्टियों का आयोजन होता है. इन पार्टियों को नाइट फिवर के नाम से भी जाना जाता है. लेट नाइट पार्टी यानी खूब हल्ला-गुल्ला, पीना-पीलाना और मदमस्त हो कर डीजे के रिदम पर थिरकना. छोटे-बड़े नगरों एवं महानगरों में इस तरह के पर्टियों का चलन तेजी से बढ़ रहा है. रात के दस बजे नहीं कि शहर के सभी पबों और क्लबों पर नवयुवक नवयुवतियों की टोली का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है. मस्ती के नाम पर रात के अंतिम पहर तक चलने वाली यह पार्टी प्यार जताने, सब कुछ भुलाने और एक नई दुनिया में मस्त होने का पैगाम लिए नवयुवकों का स्वागत करती है. इस पार्टी में अगर बात नये वर्ष के स्वागत पार्टी की बात हो तों माजरा  और कुछ बदला होता है, मस्ती और मनोरंजन का अनोखा यह आयोजन सारे सीमाओ कों तोड़ते हुए नवयुवको कों एक नये युग में ले जाती है.

दो घुट पीला दे साकिया....  जैसे गीतों के साथ जाम से जाम टकराती है और शुरूआत होती है, एक मदमस्त पार्टी की, जहा हर शीला जवान, मुन्नी बदनाम होती है और पप्पू पास होता है. मस्ती के लिए कुछ भी करेगा रे, इस पार्टी का मूल मंत्र होता है. शराब के अनेकों प्रकार- बियर, वोडका और कई प्रकार के नशीले पदार्थ (ड्रग्स, दवा) हर पल इस पार्टी में जान डालने की कोशिश करते है . जैसे-जैसे रात ढलती है पार्टी और जवां होती है. शराब के नशे में धूत नव युवक इस पार्टी में इतने रम जाते है. जैसे-जैसे समय गुजरता है उनका अपने आप से नियत्रण खोने लगता है, शराब के नशे का असर दिल और दिमाग पर पड़ता जाता है. और शराब के साथ शबाब का नशा भी हर किसी के सर चढ कर बोलता है.

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