वंदना राजकीय विद्यालय में अध्यापिका थी. जब उस के घर पर पुलिसकर्मी ने दस्तक दी तो वह चौंक गई. सहमते हुए उस ने कमरे की खिड़की से झांक कर पूछा कि क्या चाहिए, तो जवाब मिला- ‘अदालत का समन है.’ पहले तो वरदीधारी रोबीला पुलिसकर्मी, फिर अदालत का समन उस के नाम? उस की सम झ में नहीं आया कि आखिर माजरा क्या है.
बाहर जा कर मूंछों वाले पुलिसकर्मी से डरते हुए समन ले कर पढ़ा तो मालूम हुआ कि अदालत ने उसे अगले महीने की 20 तारीख को बयान देने के लिए तलब किया है. समन 2 प्रतियों में था. पुलिसकर्मी ने मूल समन पर वंदना से समन प्राप्ति के हस्ताक्षर करवा कर समन की कार्बन प्रति उसे सौंप दी.
वंदना ने स्कूल की पिं्रसिपल से पूछा कि उसे अब क्या करना होगा. परंतु पिं्रसिपल कोई मार्गदर्शन नहीं दे पाईं. फिर वह समन की प्रति ले कर परिचित वकील के घर गई तो उसे बताया गया कि 2 साल पहले स्कूल की परीक्षा के दौरान निरीक्षण दल ने एक छात्र को नकल करते हुए पकड़ा और पुलिस केस बना दिया था. उसी केस में उसे अदालत में बयान देने हेतु तलब किया गया है. वकील ने उसे यह भी बता दिया कि उसे अदालत में 10 बजे पहुंच कर सरकारी वकील से संपर्क करना चाहिए.
अगले महीने की 20 तारीख को अदालत पहुंच कर वंदना ने सरकारी वकील को समन दिखाया तो उस ने अपनी फाइल देख कर कहा कि आप को अदालत में बयान देना है कि नकल करने वाले विद्यार्थी की उत्तरपुस्तिका आप के सामने पुलिस ने जब्त की थी.
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