देश की सबसे रईस महिला नीता अंबानी ने आईपीएल टूर्नामेंट के फाइनल में अपनी टीम मुंबई इंडियन की जीत के लिए एक खास तरह की पूजा कराई थी. जिसे धर्मग्रंथों में चंडी पूजा कहा जाता है. बेशुमार दौलत के साथ साथ खूबसूरती की मालकिन नीता के पास पीएचडी की भी डिग्री है, इसके अलावा वे कत्थक की प्रशिक्षित नृत्यांगना भी भी हैं यानि नीता अंबानी बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं.

एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी 54 वर्षीय नीता विकट की और एक सनक की हद तक अंधविश्वासी भी हैं. यह बात तब भी उजागर हुई थी जब वे आईपीएल की ट्राफी लेकर मुंबई के सिद्धि विनायक और जुहू स्थित राधा कृष्ण मंदिर पूरे धूम धड़ाके से पहुंची थीं, इस मंदिर में तो उन्होंने देवी देवताओं के साथ ट्राफी का भी पूजन पाठ करवा कर जाने क्या साबित करने की कोशिश की थी.

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वैसे यह बात जरूर इस लिहाज से हैरत की हैं कि हिन्दू धर्म में तो पत्थर, पेड़, पानी,  पक्षी, और पशु तक पूजे जाते हैं लेकिन ट्राफी पूजन का जिक्र कहीं नहीं मिलता. अब उम्मीद की जा सकती है कि जल्द यह भी होने लगेगा क्योंकि सांप सपेरों के देश में धार्मिक पाखंडों के नाम पर आप कुछ भी पूज सकते हैं बशर्ते आपके पास पूजा करने वाले पंडित को देने नीता अंबानी की तरह करोड़ों की दक्षिणा हो नहीं तो आपकी औकात और हैसियत दोनों सड़क किनारे अतिक्रमण के मकसद से बनाई गई मढ़िया ( लघु टाइप का मंदिर ) लायक भी नहीं है. वजह  श्रद्धा का पैमाना हमेशा ही हृदय बाला नहीं बल्कि बाजार बाला भाव रहा है.

खैर बात आईपीएल की हो रही थी जिसकी जीत के लिए नीता ने सिर्फ फाइनल ही नहीं बल्कि अपनी टीम के हर मैच के पहले चंडी पूजा कराई थी, जिसकी बदौलत उनकी टीम फाइनल तक पहुंची और जीती भी. जाहिर है मुंबई इंडियन टीम के खिलाड़ी तो निमित्त मात्र थे नहीं तो नीता पहले ही चंडी देवी से फिक्सिंग कर चुकी थीं जाहिर यह भी है कि ये मैच उनकी लीला थे.

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यह हर किसी ने देखा कि हर मैच के दौरान नीता मंत्र बुदबुदाते चंडी माता को याद दिलाती रहीं थीं कि हे माता व्यस्तता या किसी दूसरी आकस्मिक वजह के चलते मेरे करोड़ों पर पानी मत फेर देना. माता चंडी ने भी उनकी रईसी का मान सम्मान रखते उनका केस अर्ली हियरिंग में रखते उन्हें निराश नहीं किया. क्योंकि उन जैसी पैसे वाली यह भक्तिन अगर कुपित हो जाती तो उनका अस्तित्व जरूर खतरे में पड़ जाता और मिडिल क्लासी और लोअर क्लासियों का भरोसा पूजा पाठ और देवी देवताओं की चमत्कारिक शक्तियों से उठ जाता. इससे होता यह भी कि  लाखों पंडे पुजारियों को मेहनत की रोटी खाने इन्हीं तबकों की तरह पसीना बहाने मजबूर होना पड़ता. यह बात हिन्दू धर्म की मान्य और अमान्य दोनों परम्पराओं और सिद्धांतों के प्रतिकूल होती. इससे आम लोगों में भगवान के प्रति भी प्रतिकूल मैसेज ही जाता.

इन सब हालातों और नीता देवी की इच्छा के मद्देनजर चंडी माता ने उनकी टीम को जिताने में ही बेहतरी समझी. इस मैच जिताऊ पूजा को अंबानी परिवार के फैमिली पंडितों में से एक पंडित चन्द्र शेखर ने सम्पन्न कराया और उसकी महत्ता बनाए रखने उसका ढिंढोरा भी खूब पीटा. जिससे देश के अलावा विदेशों तक में भी यह संदेशा चला ही जाये कि भारत देवी देवताओं का देश है, जहां दैनिक नित्यकर्म भी बिना मंत्रो के नहीं किए जाते और यह वैज्ञानिक व्यवस्था जिनके यहां न हो वे जीत आदि के लिए भारतीय पंडितों की सेवाएं ले सकते हैं. यह चन्द्र शेखर जी का आर्थिक स्वार्थ नहीं बल्कि उदारता थी, जो वे इस तरह की सेवाओं का लाभ हर किसी को देना चाहते हैं.

चंडी पूजा कोई ऐसी वैसी या ऐरी गैरी पूजा भी नहीं है, इसका अस्तित्व या महात्म्य वैदिक काल से है. त्रेता युग में रावण पर विजय के लिए ब्रह्मा ने राम को इस पूजा का निर्देश दिया था. राम यह पूजा करा ही रहे थे, कि चालाक रावण ने राम के नीलकमल के फूल चुरा लिए. चंडी माता को पूजा के बाद अगर नीलकमल का फूल न अर्पित किया जाये तो वे क्रुद्ध हो जाती हैं और पूजा करने बाले को ही लपेटे में ले लेती हैं. इस कोप से बचने नव कुंज लोचन कंज मुखकर कंज पद कंजारुणम… वाले राम ने फूल की जगह अपनी आंख चढ़ाने का फैसला ले लिया जो रावण से जीत की ख्वाहिश कम माता चंडी के प्रकोप से बचने का टोटका ज्यादा था.

हर कोई यह भी जानता है कि हिन्दू देवी देवता जिस तरह बात बेबात पर कुपित हो जाते हैं  उतनी ही आसानी से भक्त की दयनीय हालत देखकर द्रवित भी हो जाते हैं. राम के नेत्र दान से बचने चंडी ने उन्हें जीत का आश्वासन दे दिया. नतीजतन लंका सुपर किंग आर्यावर्त इंडियन से हार गई.

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यही आईपीएल में हुआ नीता की पूजा रंग लाई और मुंबई इंडियन जीत गई और तो और  किसी को आंख भी नहीं चढ़ाना पड़ी. बस कुछ करोड़ रुपयों में बात बन गई जो कलयुग की लक्ष्मी नीता अंबानी उतनी देर में कमा लेती हैं जितनी देर उन्हें पलक झपकाने में लगती हैं. नीता अंबानी से क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड जैसी एजेंसियों से सबक लेना चाहिए कि जीत खिलाड़ियों की मेहनत और प्रतिभा से नहीं बल्कि चंडी पूजा से आती है. लिहाजा वर्ल्ड कप के लिए टेंशन लेने की जरूरत नहीं. टीम के साथ चन्द्र शेखर जैसे विशेषज्ञ पंडित भेज देने से ही काम चल जाएगा फिर कप हमारे देश में होगा.

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