किसी व्यक्ति या विचारधारा का अनुयायी हो जाना कोई अपराध नहीं है, लेकिन जनून में आ कर उसे सच साबित करने की जिद जरूर नुकसानदेह है. ब्रेनवाश कर के कैसे राजनेता और धर्मगुरु अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, यह सोचने वाली बात है.

यह वाकेआ 22 अप्रैल का है.भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ईंटखेड़ी में सभा कर रहे थे. अपने भाषण के दौरान दिग्विजय सिंह ने मौजूद जनता से पूछा कि यहां ऐसा कोई है जिस के खाते में 15 लाख रुपए आए हों. उम्मीद के मुताबिक मंच के नीचे जमा भीड़ से नहीं...नहीं की आवाजें आईं, लेकिन सभी को चौंकाते एक युवक खड़ा हो कर बोला कि हां, मेरे खाते में 15 लाख रुपए आए हैं.

दिग्विजय सिंह ने उस युवक को मंच पर बुला कर कहा कि जनता को बता भाई कि तेरा अकाउंट नंबर क्या है जिस में 15 लाख रुपए आ गए हैं. माइक हाथ में आते ही युवक ने जो जवाब दिया वह हैरान कर देने के साथ चौंका देने वाला था कि, मोदी ने एयर स्ट्राइक कर आतंकियों को मारा, अपने तो 15 लाख वसूल हो गए. इतना सुनना था कि कांग्रेसियों ने उसे मंच से उतार दिया.

इस युवक का नाम अमित माली था जो भोपाल के एक कालेज से बीकौम कर रहा है. हालांकि इस युवक ने कोई नई बात नहीं कही थी क्योंकि सोशल मीडिया पर लाखों मोदीभक्त वही कह रहे थे जो अमित ने कांग्रेसी मंच से कहा.

इस दिलचस्प घटना से एक बात जरूर साबित हुई थी कि ब्रेनवाश्ंिग मुमकिन है और नरेंद्र मोदी ने 5 वर्षों में कुछ किया हो या न किया हो लेकिन ऐसे लाखों लोगों की फौज जरूर तैयार कर ली है जो उन के हर सहीगलत फैसले पर बिना सोचेसमझे या तर्क किए उन की हां में हां मिलाती रही. मामला चाहे नोटबंदी का हो, जीएसटी लागू करने का रहा हो या फिर दलितमुसलिम पर अत्याचारों का, मोदी के भक्तों की फौज इन में भी उन की दूरदर्शिता और देश की भलाई देखती रही थी.

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