9 जनवरी 2021 को जब यह घोषणा की जा रही थी कि 16 जनवरी 2021 से देशभर में कोरोना की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन का पहला चरण शुरु होगा, ठीक उसी समय कहीं से ये खबरें तो नहीं आयी कि किसी इंसान में बर्ड फ्लू या एच5एन1 एविएन इंफ्लूंजा के लक्षण पाये गये हैं, लेकिन यह गौर करने वाली और चिंताजनक बात है कि पिछले एक सप्ताह में हर दिन बर्ड फ्लू का शिकार होकर मरने वाले पक्षियों में आज सबसे ज्यादा संख्या रही. राजस्थान से 2000 से ज्यादा कौओं के फिर से मरने की खबर आयी, दिल्ली के भी कई इलाकों से करीब 200 से ज्यादा पक्षियों के मरने की खबरें आयीं जिनमें से ज्यादातर कौव्वे रहे और हिमाचल जहां बर्ड फ्लू की आशंकाओं को देखते हुए तमाम पोल्ट्री प्रोडक्ट पर बैन लगा दिया गया है, वहां 3700 से ज्यादा प्रवासी पक्षियों के एक ही दिन में मरने से हड़कंप मच गया है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि बर्ड फ्लू से दुनिया सैकड़ों साल से परिचित है और यह भी सच है कि पहले बर्ड फ्लू से इंसानों की मौत नहीं होती थी और आज भी आमतौर पर नहीं होती. लेकिन हमें 2013 और 1997 के वे भौंचक कर देने वाले मामले नहीं भूलने चाहिए, जब बर्ड फ्लू से न केवल इंसानों की मरने की पुष्टि हुई बल्कि इसका म्यूटेशन वर्जन एच7एन9 को एक पिता से उसकी बेटी में फैलते पाया गया. इसलिए जरूरी है कि हम कोरोना के विरूद्ध अपनी लड़ाई को जारी रखते हुए बर्ड फ्लू से भी सतर्क रहें.
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