मेरे नजदीकी परिवार में पढ़ीलिखी व सुंदर लड़की ने एक विधर्मी लड़के से विवाह कर लिया. विवाह कोर्ट में हुआ. जब घरवालों को पता चला तो उन के घर का माहौल ऐसा हो गया मानो वहां किसी की मृत्यु हो गई हो. मैं उन के घर गई. लड़की के पिता 3 दिनों से औफिस नहीं गए, कमरा बंद कर बैठे थे. मां दूसरे कमरे में रोनाधोना कर रही थीं. भाभी मुरझाई सी खामोश बैठी थीं. भाई ने गुस्से में घर के कई कीमती सामान तोड़ दिए थे.

लड़की का उस गली में आना भी वर्जित था. कुछ समय बीत गया. एक बार मैं उन के घर गई हुई थी. उस लड़की का फोन आया, मां से पूछ रही थी कि पिता और भाई घर पर तो नहीं हैं. थोड़ी ही देर में वह दुपट्टे से मुंह छिपाए घर आई. मैं उसे देख हैरान रह गई. इतनी खूबसूरत लड़की का रूप तिरोहित हो चुका था, स्याह रंगत और शरीर कंकाल मात्र रह गया था.

उस की मां ने ममतावश उस से बोलचाल शुरू कर दी थी. हम किचन में ही बैठे थे. मैं ने देखा, उन्होंने उसे किचन के बाहर ही बैठने को स्टूल दे दिया था. उन्होंने एक अलमारी से अलग रखे बरतन निकाले और कुछ खानेपीने को बाहर ही पकड़ा दिया. साथ में, मां ने हिदायत भी दी कि खा कर बरतन धो कर रख जाना.

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लड़की अश्रुपूरित नेत्रों से खाती जाती, मेरी ओर देखती जाती कि शायद एक अध्यापिका होने के कारण या उस की प्रिय आंटी होने के कारण मैं उस से या उस की मां से कुछ सकारात्मक बात करूंगी. पर मैं अपने छलकते आंसुओं को मुश्किल से छिपाए भारी मन से उठ खड़ी हुई.

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