जिस ऐक्ट्रैस की एक झलक पाने को उस के फैंस बेताब रहते थे वही फैंस अब उस ऐक्ट्रैस के मां बनने के बाद उस के फूले गालों, थुलथुल शरीर को देख भौंहें सिकोड़ने लगे यानी ऐक्ट्रैस की बदली शारीरिक बनावट उन्हें सुहा नहीं रही. अपनी फेवरेट ऐक्ट्रैस की बिगड़ी फिगर को ले कर वे उस की इतनी आलोचना कर रहे हैं मानो मां बन कर उस ने कोई अपराध कर दिया हो. फैंस के इस आलोचनात्मक व्यवहार ने उस ऐक्ट्रैस को इतना डिप्रैस कर दिया है कि वह तमिल अदाकारा अब इंडस्ट्री में दोबारा कैमरे को फेस करने तक का आत्मविश्वास खो चुकी है.

हर महिला की यही कहानी

यह कहानी इस महिला कलाकार की ही नहीं वरन हर आम महिला की भी है. दरअसल, महिलाओं को प्रकृति की सब से खूबसूरत रचना का खिताब प्राप्त है. उन की खूबसूरती का आकलन उन की शारीरिक बनावट और रूपसौंदर्य से किया जाता है. लेकिन मां बनने के बाद उन की बदली शारीरिक बनावट  उन से खूबसूरत होने का यह खिताब छीन लेती है

इस बात का और भी अधिक एहसास उन के घर वालों और रिश्तेदारों की तीखी नजरें और उन की फिगर को ले कर दी गई हिदायतें कराती हैं. ऐसे में वे खुद को साधारण महिला महसूस करने लगती हैं. इस से सब से ज्यादा नुकसान उन के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को होता है. उन्हें खुद में कमियां नजर आने लगती हैं. वे खुद को शर्मसार सा महसूस करने लगती हैं खासतौर पर तब जब सार्वजनिक स्थल पर अपने शिशु को स्तनपान कराना पड़ता है. हालांकि इस स्थिति का सामना हर महिला को मां बनने के बाद करना पड़ता है, लेकिन उन्हें ऐसा करने में झिझक महसूस होती है. झिझक होना जाहिर भी है, क्योंकि हर महिला को इस बात का डर सताने लगता है कि कहीं कोई उसे स्तनपान कराते हुए देख तो नहीं रहा.

नहीं बदली सोच

दरअसल, सामाजिक रीतिरिवाजों की बेडि़यों मेें जकड़ी महिला को आज भी सार्वजनिक स्थल पर स्तनपान कराते कोई पराया मर्द देख ले तो वह आत्मग्लानि से भर जाती है. उस का मन उसे कचोटने लगता है कि उफ, उसे पराए मर्द ने स्तनपान कराते देख लिया. वैसे आधुनिक युग में पुरुषों में भी कोई खास बदलाव नहीं आया. आधुनिक युग में भी पुरुषों की सोच पुरातन ही है. आज भी महिला की ब्रैस्ट उन्हें  सैक्स्युलाइज मैटीरियल लगती है और यदि कोई स्तनपान कराती महिला दिख जाए तो उसे ऐसे टकटकी लगाए देखते हैं मानो पोर्न फिल्म देख रहे हों.

पुरुष ही नहीं, यदि दिल्ली मैट्रो के महिला कोच की बात की जाए तो आप को यह जान कर हैरानी होगी कि इस कोच में भी यदि कोई महिला अपने शिशु को स्तनपान करा रही होती है, तो कोच में मौजूद लड़कियों और महिलाओं की नजरें उसे घूर रही होती हैं. ये घूरती नजरें ही स्तनपान कराने वाली महिला को अपमानित महसूस कराती हैं. उस के मन में यह डर बैठ जाता है कि पब्लिक प्लेस में ब्रैस्टफीडिंग कराने पर सब उसे ही देखेंगे. ब्रैस्टफीडिंग मां के लिए अपने प्राइवेट बौडी पार्ट्स को पब्लिकली ऐक्सपोज करने की मजबूरी होती है. मगर लोगों की तीखी नजरें उस के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाती हैं. अब यहां यह तय कर पाना मुश्किल नहीं कि बदसूरती लोगों की सोच में है या एक मां की शारीरिक बनावट में. मां बनना किसी भी महिला के लिए संपूर्ण होने का अनुभव है और अपने शिशु को स्तनपान कराना उस का हक. गर्भधारण करने के बाद से ही महिला के शरीर में बदलाव शुरू हो जाते हैं और शिशु के जन्म के बाद तक  सिलसिला जारी रहता है.

मां बनने पर अपने शिशु की देखभाल में वह इतनी खो जाती है कि अपने स्वास्थ्य पर ध्यान न दे पाना, नींद पूरी न होना और अपनी सोशल लाइफ से मुंह फेर लेना उसे मानसिक और शारीरिक तौर पर पूरी तरह बदल देता है. लेकिन समाज इस बात के लिए मां की सराहना करने की जगह उस की शारीरिक बनावट का मखौल उड़ाता है. उसे बदसूरत होने का एहसास कराता है. इन्हीं कारणों से आज ब्रैस्टफीडिंग महिलाओं के लिए हौआ बन चुकी है.

कस्तूरी का साहसी कदम

इतना ही नहीं कुछ महिलाएं तो कभी गर्भधारण न करने तक का मन बना लेती हैं ताकि उन की फिगर न बिगड़े. लेकिन महिलाओं की इस मानसिकता को गलत साबित किया पिछले दिनों इंटरनैट पर वायरल हुए साउथ इंडियन ऐक्ट्रैस कस्तूरी के सेमीन्यूड फोटोशूट ने. इस फोटोशूट में कस्तूरी अपने बच्चे को ब्रैस्टफीडिंग कराते दिख रही हैं. यह फोटोशूट कुछ समय पहले विश्वप्रसिद्ध फोटोग्राफर जेड बैल द्वारा अपनी बुक सीरीज ‘ए ब्यूटीफुल बौडी प्रोजैक्ट: द बौडीज औफ मदर्स’ के लिए किया गया था. इस बुक सीरीज में विश्व भर से चुनी गईं 80 मांओं की गर्भधारण के समय और उस के बाद की शारीरिक खूबसूरती पर चर्चा की गई है.

फोटोशूट को सोशल मीडिया में अपलोड करने और उस के वायरल होने के बाद लोगों की मिल रही प्रतिक्रियाओं से हैरान कस्तूरी कहती हैं, ‘‘मुझे आश्चर्य है कि लोगों ने मेरे इस फोटोशूट को इतना पसंद किया और अच्छी प्रतिक्रियाएं दीं. वाकई मां बनना एक खूबसूरत एहसास है. इस से भी ज्यादा गर्व की बात एक मां के लिए अपने शिशु को ब्रैस्टफीड कराना है. लेकिन आज भी गर्भधारण और मां बनने के बाद महिलाओं को ब्रैस्टफीडिंग को ले कर हिचक महसूस होती है खासतौर पर किसी के सामने ब्रैस्टफीडिंग कराना उन्हें अपमानजनक लगता है. लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. एक मां अपने शिशु को कहीं भी, कभी भी ब्रैस्टफीडिंग करा सकती है और मेरा फोटोशूट भी मांओं को इस के लिए प्रोत्साहित करता है.’’

मानसिकता बदलना जरूरी

कस्तूरी के इस कदम को लोगों ने भले ही प्रोत्साहित किया हो, लेकिन प्रोत्साहन के साथ ही लोगों को अब पब्लिक प्लेस पर ब्रैस्टफीडिंग को ले कर अपनी मानसिकता बदलने की भी जरूरत है ताकि सार्वजनिक स्थलों पर जरूरत पड़ने पर यदि किसी मां को अपने शिशु की भूख शांत करने के लिए स्तनपान कराना पड़े, तो उसे झिझक महसूस न हो. इस के अतिरिक्त इस फोटोशूट को देखने के बाद लोगों के लिए यह समझ पाना और आसान होगा कि एक स्त्री को जिंदगी के कई मोड़ों पर चुनौतियों का सामना कर नए रिश्तों को निभाना पड़ता है. इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में शारीरिक और मानसिक तौर पर स्त्री में कई बदलाव भी आते हैं. कस्तूरी अकेली नहीं हैं, जिन्होंने अपनी झिझक को दूर कर इस फोटोशूट में भाग लिया, उन की ही तरह विश्व भर के अलगअलग देशों से 80 मांएं और हैं, जो ओपनली ब्रैस्टफीडिंग और प्रैगनैंसी के बाद अपनी शारीरिक बनावट में आए बदलाव को कोसती नहीं, बल्कि उन्होंने इस खूबसूरत बदलाव को स्वीकार किया है.

इस फोटोशूट को अंजाम देने वाली फोटोग्राफर जेड बैल, जो खुद भी एक मां हैं, कहती हैं, ‘‘मां बनने के बाद अपनी बिगड़ी शारीरिक बनावट को देख मैं डर गई थी. मुझे अवसाद ने घेर लिया था. लेकिन मैं खुद को किसी तरह से स्टूडियो तक लाई और अपनी कुछ तसवीरें खिंचवाईं. कुछ समय बाद मुझे ऐसी महिलाओं के फोन आने लगे, जो प्रैगनैंसी के बाद अपनी खराब हो चुकी फिगर की तसवीरें खिंचवाने के लिए उत्सुक थीं. इस घटना के बाद ही मुझे इस प्रोजैक्ट का खयाल आया.’’

फोटोग्राफर अरुण पुनालुर का कहना है, ‘‘जेड बैल के लिए शूट करने वाली कस्तूरी पहली भारतीय महिला हैं. उन के इस कार्य की बहुत लोगों ने आलोचना की, लेकिन यह एक शूट है और वे एक मौडल. कस्तूरी ने जो किया वह उन का हक है. वैसे भी कौन सी महिला ऐसा करने के लिए तैयार होगी, जो कस्तूरी ने किया. बौडी ऐक्सपोज तो छोडि़ए कुछ लोग तो सार्वजनिक तौर पर किसी सामाजिक मुद्दे पर अपनी राय तक देने से कतराते हैं. ऐसे में एक महिला हो कर कस्तूरी ने जो फोटोशूट कराया वह सराहनीय है.’’

प्रैगनैंसी के बाद शारीरिक बदलाव

महिलाओं की प्रैगनैंसी के बाद शारीरिक बनावट बिगड़ना आम है. लेकिन बहुत सी महिलाएं इस बदलाव को स्वीकार नहीं कर पातीं. मसलन, वजन का बढ़ना, नींद पूरी न हो पाना, अपने लिए समय न निकाल पाना उन्हें अवसाद से ग्रस्त करता है. इन बातों को अकसर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि इन पर जागरूकता महिलाओं को सही वक्त पर मदद के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित करती है. इस बाबत ट्रैवल ब्लौगर इंद्रा थुरावुर कहती हैं, ‘‘यह फोटो एलबम मातृत्व एवं मां द्वारा अपने शिशु की भूख को शांत करने के लिए स्तनपान कराए जाने की महानता का प्रदर्शन करता है. लेकिन सोशल मीडिया में यह आज भी एक संवेदनशील मुद्दा है. लोगों को पता ही नहीं कि इस मुद्दे पर कैसे बात की जानी चाहिए. स्तनपान मां और शिशु के रिश्ते का सब से अहम पहलू है. फिर भी कुछ महिलाएं अपने शिशु को सिर्फ स्तन का आकार खराब हो जाने के डर से स्तनपान नहीं करातीं. लेकिन कभी उन मांओं के बारे में सोचा है, जो खराब जीवनशैली की वजह से अपने शिशु को स्तनपान नहीं करा पातीं और तड़पती रह जाती हैं. मां के दूध से अच्छा एक शिशु के लिए और कुछ भी नहीं है.

करें नई शुरुआत

शिशु के जन्म के बाद मां के लिए उस का बच्चा पहली प्राथमिकता बन जाता है. ऐसे में खुद पर ध्यान देना एक मां के लिए मुमकिन नहीं हो पाता. निम्न टिप्स को अपनाकर आप अपनी खोई हुई खूबसूरती को फिर से हासिल कर सकती हैं: द्य शिशु के पालनपोषण की बड़ी जिम्मेदारी मां को ही निभानी पड़ती है. लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि पिता का शिशु की देखभाल में हाथ बंटाना मना है. शिशु के छोटेमोटे काम कराने के लिए पति की मदद लें. इस से आप को अपने लिए अतिरिक्त समय मिलेगा.

मां बनने से पहले जिस तरह आप सजीसंवरी रहती थीं उसी तरह अब भी अपने रूपसौंदर्य को संवारने के लिए समय निकालें. अपने बालों और चेहरे को साफसुथरे तरीके से संवारें. खुद को सजासंवरा देख कर आप का खोया आत्मविश्वास फिर से लौट आएगा.

शरीर को फिट रखने के लिए व्यायाम करना बहुत जरूरी है. लेकिन व्यायाम करने से पहले एक बार डाक्टर की सलाह जरूर लें.

शिशु के कामकाज को सफलतापूर्वक अंजाम देतेदेते मां के पास इतना समय नहीं होता की वह चैन की नींद ले सके, इसलिए जब भी मौका मिले सो जाना चाहिए.

अपने खानेपीने का विशेष ध्यान रखें. पतला होने के चक्कर में खानेपीने में कमी न करें, क्योंकि इस का असर आप के स्वास्थ्य के साथसाथ ब्रैस्टफीडिंग पर भी पड़ेगा.

अपने ड्रैसिंग सैंस पर भी ध्यान दें. आउटफिट बहुत हद तक शारीरिक बनावट को संवार देते हैं, इसलिए न तो बहुत अधिक चुस्त और न ही बहुत अधिक ढीले कपड़े पहनें.

खुद को पैंपर करें. जाहिर है मां बनने के बाद आप की जिंदगी बदल जाती है. ऐसे में अपने लुक्स में भी आप बदलाव कर सकती हैं. इस के लिए नया हेयरकट एक अच्छा विकल्प है. साथ ही मेकअप का अंदाज बदल कर भी खुद को नया लुक दे सकती हैं.

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