Ideology : शादी की दावत में अलगअलग तरह के खाने का इंतजाम खाने वालों की पंसद, विचारधारा और पीढ़ी के अंतर को दिखाता है.

शादी की दावत में अब आने वाले लोगों की पंसद के हिसाब से खाने के स्टाल लगने लगे हैं. शादियों की दावत में पहले शाकाहारी और मांसाहारी खाने का ही अंतर होता था. इन के खाने से इस बात का अंदाजा लगाना सरल हो जाता था कि किस विचारधारा के लोग है. धीरेधीरे रात की दावतों में कहींकहीं शराब का भी इंतजाम होता था. आज भी कौकटेल पार्टी होती है. कौकटेल और नौनवेज अभी भी मुख्यधारा में शामिल नहीं की जाती है. यह कुछ गिनती के लोगों के लिए होती है. शादी की दावत में अब भी विभाजन दिखता है. यह क्षेत्र के हिसाब से होता है.

देशी खाने के साथ ही साथ अब साउथ इंडियन, चाइनीज, मैक्सिकन, इटैलियन और मुगलई खाना भी होता है. हर खाने के अलगलग कांउटर लगते हैं. इन पर खड़ी भीड़ को देख कर समझना सरल होता है कि किस विचार और पीढ़ी के लोग वहां पर होंगे.

ज्यादातर युवा लोग इन कांउटर पर दिखते हैं. जो विचारों के दकियानूसी और रुढ़िवादी नहीं होते हैं. इन के विचार आजाद ख्याल के होते हैं. यह जिस तरह से खाने में नई विचारधारा को जगह देते हैं उसी तरह से अपनी बातचीत और सोच में भी नई विचारधारा को जगह देते हैं.

दकियानूसी और रूढ़िवादी सोच के लोग उसी दालचावल में लगे रहते हैं. उन को लगता है कि चाइनीज, मैक्सिकन, इटैलियन और मुगलई खाने से उन का धर्म न खत्म हो जाएं. जैसे इस तरह के लोग केक खाने से बचते हैं. जब उन को यह बताया जाता है कि केक एगलेस है तो भी वह उस को खाने से बचते हैं. अब चाइनीज व्यंजन को सब से ज्यादा पंसद किया जाता है. इस के स्टाल पर खाने वाले युवा ही दिखते हैं. इन की सोच भी आधुनिक दिखती है.

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