ऐसा पहली बार नहीं है कि सत्ता को उस की खामियों का एहसास कराने वाले किसी व्यक्ति को जांच एजेंसियों के उत्पीड़न से गुजरना पड़ा हो. हर्ष मंदर, यूथ कांग्रेस के श्रीनिवास बीवी, सिद्दीक कप्पन जैसे बहुतेरे नाम हैं. कोरोनाकाल में लौकडाउन लगने पर महानगरों और अन्य शहरों से पैदल ही अपने गांवकसबों की तरफ पलायन करने के लिए मजबूर लाखों प्रवासी मजदूरों के लिए अभिनेता सोनू सूद मदद के लिए सड़कों पर उतरे थे और उन्हें उन के गंतव्य तक पहुंचाने में मदद की थी. उन्होंने कई लोगों के रहने और खाने के साथ काम का भी इंतजाम किया था.

प्रवासी मजदूरों को घरवापसी कराने के अभियान के तहत उन्होंने नीति गोयल के साथ मिल कर 75 हजार प्रवासी मजदूरों को अपने घर भिजवाया, लौटवाया. इन में ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के प्रवासी मजदूर थे. इस के अलावा बड़ी संख्या में दक्षिण भारत के प्रवासी मजदूरों को भी भेजा गया. इतना ही नहीं, प्रवासी मजदूरों के सामने रोजगार की समस्या खड़ी हुई तो उन्हें रोजगार दिलाने के लिए प्रवासी रोजगार ऐप भी शुरू किया था. उन दिनों अखबारों के पन्ने, टीवी चैनलों के स्क्रीन सोनू सूद की तारीफों से पट गए थे. कौन ऐसा होगा जिस ने सोनू सूद की तारीफ न की होगी, चाहे वह पक्ष हो या विपक्ष. सोनू सूद की दरियादिली और गरीबों के प्रति उन की भावनाओं के चर्चे इस कदर हुए कि कुछ राजनीतिक पार्टियों ने, जिन में भाजपा भी शामिल थी,

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उन को राजनीति में आने का औफर दिया. उन्हें राज्यसभा सीट पर भेजने की बातें हुईं, मगर सोनू सूद ने मना कर दिया और अपनी समाजसेवी संस्था के माध्यम से जनता की सेवा में लगे रहे. पिछले दिनों वे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ एक मंच पर नजर आए. सूद को अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली दिल्ली सरकार ने ‘देश के मेंटोर’ कार्यक्रम का ब्रैंड एंबेसडर बनाया है. इस कार्यक्रम के जरिए स्कूली बच्चों को भविष्य के बारे में मार्गदर्शन दिया जाएगा. इसी की घोषणा के समय वे अरविंद केजरीवाल के साथ बैठे मीडिया के कैमरों में कैद हुए. फिर क्या था, सोनू सूद को केजरीवाल के साथ देख कर राजनीतिक पार्टियों में हलचल मच गई. सोनू सूद की पैदाइश पंजाब के मोगा जिले की है. 5 महीने बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में केजरीवाल के साथ सोनू सूद की मुलाकात भाजपा के लिए बड़े खतरे की घंटी बन गई क्योंकि अगर केजरीवाल को सोनू सूद का साथ मिल गया तो पंजाब में उन की पार्टी की हालत सुधर सकती है. सो, जैसे ही सोनू सत्ता के लिए खतरा बनते दिखे, सत्ता ने अपने खतरे को निबटाना शुरू कर दिया और सोनू सूद के घर, दफ्तर, एनजीओ सब जगह आयकर विभाग के छापे पड़ने लगे. आयकर विभाग ने उन के मुंबई, लखनऊ, कानपुर, जयपुर, दिल्ली और गुरुग्राम सहित 28 ठिकानों पर 3 दिनों की रेड के बाद 20 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप लगाया.

अधिकरियों ने कहा, ‘‘जांच में सामने आया है कि सोनू सूद ने विदेशी डोनर्स से 2.1 करोड़ की नौन-प्रौफिट फंडिंग जुटाई, जो इस तरह के लेनदेन को नियंत्रित करने वाले कानून का उल्लंघन है. तलाशी के दौरान 1.8 करोड़ रुपए की नकदी जब्त की गई है और 11 लौकरों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं.’’ सोनू सूद पर इस रेड के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया- ‘सचाई के रास्ते पर लाखों मुश्किलें आती हैं, लेकिन जीत हमेशा सचाई की ही होती है. ञ्चस्शठ्ठह्वस्शशस्र जी के साथ भारत के उन लाखों परिवारों की दुआएं हैं जिन्हें मुश्किल घड़ी में सोनूजी का साथ मिला था.’ केआरके यानी कमाल राशिद खान, जो अदाकारी से ज्यादा अपनी चुटीली टिप्पणियों के लिए मशहूर हैं- ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहेते कलाकार अक्षय कुमार पर अप्रत्यक्ष निशाना साधते हुए लिखा, ‘भाई, सोनू सूद की गलती यह है कि उन्होंने मोदीजी का इंटरव्यू नहीं किया.

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मोदीजी से यह नहीं पूछा कि वे आम कैसे खाते हैं. काट कर या चूस कर. अगर यह पूछ लिया होता तो फिर लंदन, कनाडा में कितना भी माल पार कर देते, कोई दिक्कत ही नहीं थी.’ सोशल मीडिया पर विजय कुमार नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘सरकार को इस बात का गुस्सा भी है कि जब सोनू सूद लोगों की मदद कर रहे थे तब सरकार मदद करने के बजाय अपना झोला भरने के लिए दान मांग रही थी. जब सरकार ने कोई मदद नहीं की, तो सोनू सूद ने मदद क्यों की?’ कुल जमा यह कि इधर सोनू सूद पर आयकर विभाग की कार्रवाई शुरू हुई और उधर जनता ने सरकार को ट्रोल करना शुरू कर दिया. ऐसा इस देश में पहली बार देखने को मिला. इंतेखाब नाम के यूजर लिखते हैं, ‘सभी को पता है कि जो काम सरकार को करना था वह सोनू सूद ने किया. बस, उसी का बदला लिया जा रहा है.

’ जानेमाने पत्रकार और ब्लौगर यूसुफ किरमानी अपनी बात बड़ी तफ्सील से रखते हैं. वे लिखते हैं- ‘विदेशी फंड पर दोहरा मापदंड क्यों? सीबीडीटी (सैंट्रल बोर्ड औफ डायरैक्ट टैक्सेज) यानी इनकम टैक्स विभाग ने कहा है कि सोनू सूद ने 20 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की है. इस में विदेश से सोनू सूद को प्रवासी मजदूरों और गरीबों के लिए भेजे गए 2.1 करोड़ रुपए का फंड भी शामिल है. सवाल है कि भाजपा, आरएसएस, वीएचपी, विवेकानंद फाउंडेशन को विदेश से जो फंड आता है, उस की जांच कौन करेगा? कब होगी यह जांच? सरकार चलाने वाली पार्टी और उस के संगठन पहले अपने गिरेबान में तो झांकें. इस छापामारी पर सोनू सूद ने बड़ी शालीनता से अपना पक्ष रखते हुए कहा है- ‘जब आईटी औफिसर आए थे तो मैं ने उन से कहा कि आप जब भी जाएंगे, एक अलग अनुभव ले कर जाएंगे. सभी औफिसर ने देखा है, घर के नीचे मदद मांगने वाले लोग खड़े रहते हैं. उन को छापे की कार्रवाई में जो डौक्युमैंट्स मिले हैं वे किडनी, लिवर ट्रांसप्लांट के ही मिले हैं.’ सोनू सूद कहते हैं, ‘‘जिन लोगों ने मुझे पैसा दिया, मेरी सब से बड़ी जिम्मेदारी थी कि उस पैसे को सही जगह पर खर्च करना है.

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मैं जितने ब्रैंड के ऐड करता हूं उन से कहता हूं कि कोशिश करें कि आप उस का मेजर अमाउंट फाउंडेशन में दें ताकि हम लोगों की मदद कर सकें. कई हौस्पिटलों में मेरे पैसे पड़े हुए थे, जिन से मैं कह देता था कि मैं मरीज भेजूंगा, आप एडमिट कर लेना और हम ने बहुत मरीजों को उन अस्पतालों में भेजा है.’’ सोनू सूद ने विजयवाड़ा के बच्चों के दिए हुए पिगी बैंक भी मीडिया को दिखाए. जिन से अभी एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ है. सूद का कहना है कि ये सालों से पड़ा हुआ पैसा नहीं है, बल्कि यह वह पैसा है जो पिछले 3 या 4 महीनों में आया है. हम ने 2 करोड़ रुपया खर्च किया है, यह आयकर विभाग ने मीडिया को सही बताया. लेकिन अगर किसी के पास पैसा आता है तो उसे सही काम में खर्चने में टाइम लगता है.

मेरे साथ देश के वे लोग जुड़े हैं जिन्हें यह विश्वास है कि वे ऐसे आदमी हैं जो उन की सोच को सही लोगों की मदद तक पहुंचाएगा. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि सत्ता को उस की खामियों का एहसास कराने वाले किसी व्यक्ति को जांच एजेंसियों के जरिए उत्पीडि़त किया गया. इस से पहले हर्ष मंदर, यूथ कांग्रेस के श्रीनिवास बीवी, सिद्दीक कप्पन जैसे न जाने कितने नाम हैं, जिन्होंने जबजब सरकार को चेताने की कोशिश की, उन पर पुलिस और जांच एजेंसियों की गाज गिरी. विरोधी विचार रखने वाले लोगों को डराने और अगर मुमकिन हो तो उन का मुंह बंद कराने के लिए उन के पीछे सरकारी एजेंसियों को छोड़ देने जैसा दमनकारी कदम उठाने का चलन भाजपा सरकार में खूब है.

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