दुनिया में सोने के दाम लगातार कम हो रहे हैं, और इस के पीछे एक बड़ा कारण अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत माना जा रहा है. इस साल ज्यादातर समय सोने की कीमतों में तेजी रही, लेकिन ट्रंप की जीत के बाद सोने की कीमत में 4 फीसद से अधिक की गिरावट आई है.
अमेरिकी डौलर: मजबूती का दौर
अमेरिका द्वारा शुरू किए गए शुल्क और व्यापार युद्ध के कारण अन्य देशों की मुद्राओं का मूल्य नीचे गिर गया है, जिस से अमेरिकी डौलर मजबूत हुआ है. इस से सोना खरीदना अन्य मुद्राओं का उपयोग करने वाले खरीदारों के लिए अधिक महंगा हो गया है.
ट्रंप की प्राथमिकता कम करों और उच्च शुल्क की है, जिस से फेडरल रिजर्व अगले साल ब्याज दरों में कटौती करने की उम्मीद कम हो गई है. इस से सरकारी बांड अधिक ब्याज देगा, जो सोने की कीमत को नुकसान पहुंचा सकता है. निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि ट्रंप की जीत से अमेरिकी सरकार के कर्ज और मुद्रास्फीति में वृद्धि होगी, जो सोने की कीमत में मदद कर सकती है.
हालांकि, दुनिया भर में अस्थिरता के दौरान सोना अब भी निवेशकों के लिए एक सुरक्षित निवेश विकल्प है. पश्चिम एशिया, यूक्रेन और अन्य जगहों पर युद्ध और राजनीतिक तनाव के कारण सोना निवेशकों के पोर्टफोलियो में बना रहेगा.
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद सोने की कीमतों में गिरावट आई है, जो कई विश्लेषकों के लिए आश्चर्यजनक है. सोना, जो अकसर आर्थिक अनिश्चितता के समय में एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, ने अपनी चमक खो दी है और इस की कीमतें गिर गई हैं. लेकिन क्या है इस के पीछे का कारण?
अमेरिकी डौलर का मजबूत होना
अमेरिकी डौलर का मजबूत होना एक मुख्य कारण है, जो अन्य मुद्राओं के मुकाबले अपनी मजबूती के कारण सोने की कीमत को कम कर देता है. जब अमेरिकी डौलर मजबूत होता है, तो अन्य देशों के निवेशकों के लिए सोना खरीदना अधिक महंगा हो जाता है, जिस से इस की मांग कम हो जाती है और कीमतें गिर जाती हैं.
ट्रंप की आर्थिक नीतियां भी सोने की कीमतों पर असर डाल रही हैं. उन की कर दरों को कम करने और शुल्क बढ़ाने की योजना से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन इस से मुद्रास्फीति भी बढ़ सकती है. इस से निवेशकों की उम्मीदें कम हो सकती हैं कि फेडरल रिजर्व अगले साल ब्याज दरों में कटौती करेगा, जिस से सोने की कीमत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
भारत में सोने के दाम और….
भारत में, सोने की कीमतें भी गिर गई हैं. 24 कैरेट सोने की कीमत 73,740 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोने की कीमत 67,540 रुपये प्रति 10 ग्राम है. यह गिरावट भारतीय निवेशकों के लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है सोने में निवेश करने के लिए.
डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद सोने की कीमतों में गिरावट एक नए युग की शुरुआत हो सकती है. अमेरिकी डौलर का मजबूत होना और ट्रंप की आर्थिक नीतियां सोने की कीमतों पर असर डाल रही हैं. भारतीय निवेशकों के लिए यह एक अच्छा अवसर हो सकता है सोने में निवेश करने के लिए. लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि निवेशक अपने निर्णय लेने से पहले बाजार की स्थिति और आर्थिक विश्लेषण को ध्यान में रखें.
सोने के दाम कम होने के कई कारण हो सकते हैं, और विशेषज्ञों के विचार भी अलग-अलग हो सकते हैं, यहां कुछ विशेषज्ञों के विचार हैं:
विशेषज्ञ कहते हैं…..
अर्थशास्त्री मानते हैं कि सोने की कीमतें अमेरिकी डौलर की मजबूती और वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार के कारण कम हो रही हैं.
वित्तीय विश्लेषक मानते हैं कि सोने की कीमतें ट्रंप की आर्थिक नीतियों और फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति के कारण कम हो रही है. सोने के व्यापारी मानते हैं कि सोने की कीमतें वैश्विक मांग में कमी और सोने के उत्पादन में वृद्धि के कारण कम हो रही हैं.
निवेश विशेषज्ञ मानते हैं कि सोने की कीमतें निवेशकों की रणनीति में बदलाव और अन्य निवेश विकल्पों की ओर बढ़ते रुझान के कारण कम हो रही हैं.
अमेरिकी डालर की मजबूती सोने की कीमतों को कम कर देती है.
वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार सोने की मांग को कम कर देता है.
सोने की कीमतों पर प्रभाव डालने वाले कारक:
अमेरिकी डौलर की मजबूती
वैश्विक आर्थिक स्थिति,
मांग-आपूर्ति की स्थिति, आर्थिक नीतियां, मुद्रास्फीति.
इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, यह कहना मुश्किल है कि क्या डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से सोने की कीमतें कम होंगी या नहीं. लेकिन यह तय है कि सोने की कीमतें समय के साथ बदलती रहती हैं, दुनिया में सोने के दाम कम होना या ज्यादा होना इस का असर अलगअलग लोगों पर अलगअलग तरीके से पड़ता है.
सोने की कीमतें कम होने से निवेशकों को सोने में निवेश करने का अच्छा मौका मिलता है, क्योंकि वे कम कीमत पर सोना खरीद सकते हैं और भविष्य में इस की कीमत बढ़ने पर मुनाफा कमा सकते हैं.
सोने की कीमतें कम होने से ज्वेलरी खरीदने वालों को फायदा होता है, क्योंकि उन्हें अपने पैसे का ज्यादा मूल्य मिलता है.
सोने की कीमतें कम होने से सोने के उत्पादकों को नुकसान होता है, क्योंकि उन्हें अपने उत्पाद के लिए कम पैसे मिलते हैं.
सोने की कीमतें कम होने से आर्थिक दृष्टिकोण से भी असर पड़ता है, क्योंकि इस से देश का विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावित हो सकता है. इसलिए, सोने के दाम कम होना या ज्यादा होना इस का असर अलगअलग लोगों पर अलगअलग तरीके से पड़ता है.