भोपाल की पूजा थापक की दुखद आत्महत्या के मामले में एक दिलचस्प मोड़ 17 नवंबर को उस वक्त सामने आ गया जब उस के ससुर जीवनलाल दुबे ने यह दावा किया कि निखिल से शादी के पहले भी वह एक नायब तहसीलदार जयेश प्रताप सिंह परमार से इंदौर के आर्य समाज मंदिर में साल 2019 में शादी कर चुकी थी. जिस के दस्तावेजी सुबूत मेरे बेटे निखिल के हाथ लग गए थे. इसी कारण से दोनों में विवाद रहने लगा था. इस से पूजा गिल्ट फील करने लगी थी जिस के चलते उस ने आत्महत्या कर ली और अब परेशान मेरे परिवार वालों को किया जा रहा है. यह सब पूजा के बहनोई अवधेश शर्मा के दबाव में किया जा रहा है जो छतरपुर के कलैक्टर हैं.

खूबसूरत, हंसमुख और इंटैलीजैंट पूजा ने बीती 9 जुलाई को भोपाल के साकेत नगर स्थित अपने घर में फांसी का फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली थी जिस का आरोप उस के पति निखिल दुबे और सास आशा दुबे पर लगा था. तब ये दोनों फरार हो गए थे. बाद में 5 अगस्त को पुलिस ने निखिल को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया था जो कथित तौर पर कालेज के जमाने की अपनी एक गर्लफ्रैंड के यहां फरारी काट रहा था. आशा अभी तक फरार है. निखिल सूचना एवं प्रोद्योगिकी विभाग में वैज्ञानिक है जबकि पूजा जनसंपर्क विभाग में असिस्टैंट डायरैक्टर और श्रम मंत्री प्रह्लाद पटेल की ओएसडी भी थी.

इन दोनों की शादी साल 2022 में हुई थी. शादी के कुछ दिनों बाद से ही दोनों में कलह होने लगी थी लेकिन नवंबर 2023 उन्हें एक बेटा भी हुआ था जिस की कस्टडी का विवाद भी अदालत पहुंचा था और अदालत के आदेश पर उसे नानानानी को सौंप दिया गया था.

पूजा की आत्महत्या के बाद खासा बवाल मध्य प्रदेश में मचा था और तरहतरह की चर्चाएं भी हुई थीं. दोनों के परिजनों ने एकदूसरे पर तरहतरह के इलजाम मढ़े थे, मसलन पूजा के घर वालों की तरफ से ये कि निखिल अव्वल दर्जे का शराबी था, पूजा के साथ आएदिन मारपीट करता था और अपनी मां आशा सहित दहेज के लिए उसे प्रताड़ित भी करता रहता था.

निखिल के घर वालों ने इन आरोपों का खंडन करते पूजा को ही दोषी ठहराया था. ये बातें कतई नई नहीं थीं लेकिन हैरान कर देने वाला आरोप निखिल के पिता ने पूजा के पहले से ही शादीशुदा होने का लगाया तो हर कोई चौंका क्योंकि मामला अब एकता कपूर छाप पारिवारिक टीवी सीरियलों सरीखा हो गया था जिस में दूसरीतीसरी शादी और उस का छिपाना कहानी की जान होती है. सोशल मीडिया पर पूजा और जयेश परमार की शादी का सर्टिफिकेट भी वायरल हुआ.

यह सर्टिफिकेट कितना सच्चा, कितना झूठा है, इन पंक्तियों के लिखे जाने तक इस की सत्यता की जांच नहीं हुई थी. लेकिन अगर यह सच्चा है तो जाहिर है पूजा अपनी पहली शादी की बात छिपाने में कामयाब नहीं हो पाई थी. ऐसा अकसर दूसरी शादी करने वाले कर पाते हैं या नहीं, यह उन की समझ और चालाकी पर निर्भर करता है. पर अहम सवाल यह कि लोग ऐसा करते ही क्यों हैं.

इस सवाल के दर्जनों जवाबों में से एक महत्त्वपूर्ण यह है कि अगर दूसरी शादी करने के लिए तलाक का इंतजार किया जाए तो इस प्रक्रिया में सालों गुजर जाते हैं. तब तक शादी की उम्र ढलने के साथसाथ जज्बात और जोश भी खत्म होने लगते हैं. यह बिलाशक बड़ी क़ानूनी खामी है कि तलाक के मुकदमे सालोंसाल चलते रहते हैं और पति या पत्नी वक्त रहते दूसरी शादी नहीं कर पाते, क्योंकि पहले या पहली से तलाक लिए बगैर दूसरी शादी कानूनन अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 495 के तहत है जिस में 10 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है.

अगर पूजा ने भी ऐसा किया था तो क्या गलत किया था और इस का जिम्मेदार कौन है वह खुद या वह कानून जो झटपट तलाक की डिक्री नहीं देता, बल्कि सालोंसाल लगा देता है. अगर पूजा भी तलाक के लिए अदालत जाती तो 4 साल तो मामला फैमिली कोर्ट में ही अटका होता और अगले 10-12 साल उस के सुलझने के आसार भी न दिख रहे होते. अगर जीवनलाल दुबे का आरोप और पूजा-जयेश की शादी का प्रमाणपत्र सच्चा है तो लगता ऐसा भी है कि पूजा और जयेश परस्पर सहमति से अलग हो गए होंगे.

मुमकिन यह भी है कि दोनों ने हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13 (बी) के तहत परस्पर सहमति से ही तलाक भी ले लिया हो लेकिन यह बात पूजा निखिल को बता नहीं पाई. उसे डर सचाई जानने पर निखिल के इनकार का रहा होगा, वजह, तलाकशुदा से शादी करने में लोग हिचकिचाते हैं.

एक और संभावना इस बात की भी है कि हकीकत पता चलने पर तिलमिलाया निखिल सकते में आ गया हो और पूजा को ही ब्लैकमेल व प्रताड़ित करने लगा हो जिस ने काफी नकदी और अचल संपत्ति ससुराल वालों को दी थी. पर निखिल इस के बाद भी धोखे को हजम नहीं कर पा रहा हो लेकिन बेटे का मोह और उस के भविष्य की चिंता के साथसाथ अपने परिवार की प्रतिष्ठा का खयाल भी उसे इस सच को सार्वजनिक करने से रोक रहा हो. सच कुछ भी हो लेकिन उस से निखिल के अपराध की गंभीरता कम नहीं हो जाती बशर्ते यह अदालत में साबित हो पाए कि वह वाकई पत्नी को प्रताड़ित करता था.

यानी, दूसरे जीवनसाथी के सामने पहली शादी की बात छिपाई जा सके तो सबकुछ ठीकठाक चल सकता है. ठीक इसी तरह दूसरी शादी की बात अगर छिपाई जा सके तो भी वैवाहिक जीवन सफलतापूर्वक चल सकता है. ऐसा बड़े पैमाने पर हो भी रहा है. जिन के तलाक के मुकदमे सालों से अदालतों में चल रहे हैं वे लिवइन में धड़ल्ले से रह रहे हैं. भोपाल के ही एक 37 वर्षीय कारोबारी अनिमेश (बदला नाम) की मानें तो वह पौश इलाके में अपनी पार्टनर के साथ रहते पहली पत्नी से तलाक का इंतजार कर रहे हैं जिस के होते ही वे अपनी पार्टनर से शादी कर लेंगे. यह बात उन्होंने उसे बता भी दी है. हां, अनिमेश कहते हैं तब तक हम बच्चे के बारे में नहीं सोच रहे क्योंकि तब मामला कौंप्लीकेटेड हो सकता है वह भी उस सूरत में जब तलाक की डिक्री न मिले.

अनिमेश कुछ गलत नहीं कर रहा है क्योंकि वह बिना शादी किए एक आत्मनिर्भर और नौकरीपेशा महिला के साथ उस की मरजी से रह रहा है जो कानूनन अपराध नहीं है. और पत्नी को इस का पता चल जाए तो वह कोर्ट में इसे चुनौती नहीं दे सकती और अगर देती भी है तो कुछ साबित नहीं कर सकती.

पहले जीवनसाथी के रहते दूसरी शादी का चलन बावजूद कानूनों के होने के बाद भी हमेशा रहा है. फर्क यह है कि पहले पहला जीवनसाथी, जो अकसर पत्नी होती थी, कई वजहों के चलते कोई कार्रवाई नहीं करती थी लेकिन अब करने लगी हैं तो उस का तोड़ भी लिवइन की शक्ल में निकल आया है.

जब तोड़ निकल ही आया तो अदालतों को इस से भी तकलीफ होने लगी है. 12 मार्च, 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में यह कहा है कि कोई भी विवाहित महिला पति से तलाक लिए बिना लिवइन में नहीं रह सकती. हुआ यह था कि लिवइन में रह रही महिला अदालत गई थी सुरक्षा की मांग ले कर, लेकिन एवज में अदालत ने उसे नैतिकता की घुट्टी पिला दी. बकौल इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस रेनू अग्रवाल, बगैर तलाक लिए विवाहिता लिवइन में नहीं रह सकती. ऐसे रिश्तों को मान्यता देने से अराजकता बढ़ेगी और देश का सामाजिक तानाबाना नष्ट हो जाएगा. अदालत ने याची कासगंज की पूजा कुमारी पर 2 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोक दिया.

निचली से ले कर ऊपरी अदालतें तक पूजापाठी हैं जो नहीं चाहतीं कि तलाक की तादाद बढ़े क्योंकि यह उन की भी नजर में एक धार्मिक संस्कार है. पूजा कुमारी सुरक्षा मांगने गई थी, अपने रिश्ते के जायजनाजायज या नैतिकअनैतिक होने का सर्टिफिकेट या राय उस ने नहीं मांगी थी जो कि मुफ्त में अदालत ने दे दी. दो टूक और टू द पौइंट बात करने की हिमायत करने वाली अदालत सुरक्षा देने में असमर्थता जाहिर कर सकती थी. लेकिन उसे यह रास नहीं आया कि बिना तलाक लिए कोई महिला वयस्क महिला अपनी मरजी से सुखचैन से रहे (यानी अविवाहिता लिवइन में रहे तो यह अराजकता नहीं और न ही इस से देश का सामाजिक तानाबाना नष्ट होता). पूछना तो अदालत को यह चाहिए था कि याची के तलाक के मुकदमे में देर क्यों हो रही है जिस के चलते वह कटी पतंग सी हालत में जी रही है. और अगर लिवइन में रह भी रही है तो कौन से कानून की कौन सी धारा के तहत अदालत उसे न रहने के लिए बाध्य कर सकती है. यह न किसी ने पूछा और न ही बताया.

यह ठीक है कि लिवइन के अपने अलग झमेले हैं और वह एक आदर्श वैवाहिक विकल्प हर किसी के लिए है. उन लोगों के लिए भी जो शादी नहीं करना चाहते और उन लोगों के लिए भी जो तलाक के मुकदमे के दौरान कोई सहारा चाहते हैं और वैवाहिक जीवन सरीखे मानसिक व शारीरिक सुख भोगना चाहते हैं. उन्हें बलात रोकने का प्रावधान किसी कानून में नहीं है तो डर किस बात का. इत्मीनान से छिपाइए पहली या दूसरी शादी की बात और इत्मीनान से रहिए. धर्म, समाज और परिवार के बेजा दबाव और घुटन में पूजा कुमारियां क्यों रहें.

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