Employment : भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था में जहां आर्थिक विकास की दर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, वहीं रोजगार की स्थिति अभी भी बदतर है. देश के आर्थिक आंकड़े भले ही सकारात्मक हों लेकिन इस का असर आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी पर नहीं दिखता. बढ़ती अर्थव्यवस्था के बावजूद रोजगार की कमी आज भी एक गंभीर और जटिल समस्या बनी हुई है. देश के अनएंप्लौयड वर्कफोर्स का चौंका देने वाला 83 फीसदी हिस्सा 15 से 29 वर्ष की आयु के बीच है.

दुनिया की सब से बड़ी युवा आबादी वाला भारत आर्थिक चौराहे पर खड़ा है. भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 के आंकड़े परेशान करने वाली तसवीर पेश करते हैं. भारत हर साल लगभग 50 लाख ग्रेजुएट तैयार करता है. उन में से लगभग आधे खुद को बेरोजगार पाते हैं. इस का एक कारण है देश में एडवांस टैकक्नोलौजी और डिजिटलाइजेशन की वजह से काम के तरीके बदलना.

जैसेजैसे आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस और मशीन लर्निंग जैसे नए क्षेत्रों में वर्कफोर्स बढ़ा है, वैसेवैसे पुराने क्षेत्रों में नौकरियां घट रही हैं. युवा पीढ़ी में इन नए कौशलों की कमी ने रोजगार की समस्या को और बढ़ा दिया है.

बढ़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी के बीच संतुलन बैठाना चुनौतीपूर्ण काम है. इस के लिए सही दिशा में युवाओं के कौशल में निवेश, उद्योगों में निवेश और आजीवन सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. अगर इस दिशा में सही प्रयास किए गए, तो न केवल विकास दर में वृद्धि होगी बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, जिस से देश की आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सकेगी.

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