भाग 1

उत्तर प्रदेश के जनपद आगरा में एक थाना है कागारौल. इस थानाक्षेत्र के गांव विश्रामपुर के नाले के पास वाले खेत में 19-20 साल के एक युवक और 17-18 साल की युवती की लाशें पड़ी हुई थीं. विश्रामपुर के लोगों को यह जानकारी मिली तो लोग खेत की तरफ दौड़े. कुछ ही देर में वहां भीड़ जुट गई.

2-2 लाशें मिलने पर गांव में सनसनी फैल गई. इसी बीच किसी ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. यह 27 जून, 2019 की सुबह की बात है.

सुबहसुबह डबल मर्डर की खबर पा कर थानाप्रभारी कागारौल अंजुल पांडेय पुलिस टीम के साथ विश्रामपुर गांव पहुंच गए. जिस समय पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तब मृत किशोरी के पास एक महिला और लड़की बैठी रो रही थीं. पास ही युवक की लाश पड़ी थी.

पता चला कि वह मृतका की मां मुनीशा और बहन रूमिका हैं. साथ ही यह भी जानकारी मिली कि मृत युवक और युवती गांव गौरऊ के रहने वाले थे. मृतका का नाम पूजा और मृतक का नाम श्यामवीर था. गांव गोरऊ थाना खैरागढ़ क्षेत्र में आता था न कि थाना कागारौल में.

इंसपेक्टर अंजुल पांडेय ने यह सूचना थाना खैरागढ़ के इंसपेक्टर जसवीर सिंह को दे दी. वह भी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस ने मुनीशा से उस की बेटी पूजा की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि श्यामवीर ने उस के परिवार का जीना हराम कर दिया था. जबकि रूमिका ने बताया कि श्यामवीर पूजा से जबरन शादी करना चाहता था. रात को वह पूजा को भगा कर ले जा रहा था. गांव वालों ने दोनों को पकड़ लिया और उन के साथ मारपीट की, इसी से दोनों की मौत हो गई.

पुलिस को पता चला कि मृतक नगला गौरऊ निवासी मनेंद्र उर्फ मंगल सिंह का बेटा था. 19 वर्षीय मृत युवक का नाम श्यामवीर तोमर था. जबकि 18 साल की मृतका पूजा कुशवाह मोहन सिंह की बेटी थी. विश्रामपुर गौरऊ गांव की सीमा से सटा हुआ था.

थानाप्रभारी खैरागढ़ जसवीर सिंह ने मामले की जानकारी एसएसपी जोगेंद्र सिंह को दे दी. थोड़ी देर में वह भी मौके पर पहुंच गए. फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया था.

इस घटना की जानकारी मिलने पर गांव गौरऊ के प्रधान ने मृतक श्यामवीर के ताऊ फूल सिंह के घर जा कर बताया कि श्यामवीर खेत में मरा पड़ा है और वहां भीड़ जमा है. यह सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया. श्यामवीर के घर वाले गांव के लोगों के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे.

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श्यामवीर और पूजा की लाशें गांव से करीब 100 मीटर दूर एक खेत में पड़ी थीं. दिन चढ़ने के साथ श्यामवीर और पूजा की हत्या की खबर आसपास के गांवों में भी फैल गई. कुछ ही देर में वहां देखने वालों का तांता लग गया. भीड़ बढ़ती देख किसी अनहोनी की आशंका से अफसरों को पुलिस फोर्स मंगानी पड़ी.

पुलिस ने लाशों का मुआयना किया तो पता चला, दोनों लाशों की गरदन, सिर व चेहरों पर चोट के निशान थे. देखने से लग रहा था कि दोनों के साथ मारपीट करने के बाद गला दबा कर हत्या की गई थी.

लाशों के पास 3 मोबाइल फोन पड़े मिले, जिन्हें पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल पर जांच कर साक्ष्य जुटाए.

पुलिस ने घटनास्थल पर आए मृतक श्यामवीर के घर वालों से पूछताछ की. श्यामवीर के ताऊ फूल सिंह तोमर, चाचा विजय सिंह व अन्य घर वालों ने बताया कि श्यामवीर और पूजा एकदूसरे से प्यार करते थे. जबकि पूजा के घर वाले इस का विरोध करते थे. वे लोग कई बार श्यामवीर को जान से मारने की भी धमकी दे चुके थे.

उन्हीं लोगों ने रात को फोन कर के धोखे से श्यामवीर को अपने घर बुलाया था. श्यामवीर के घर वाले आरोप लगा रहे थे कि पूजा के घर वालों ने इस वारदात को षडयंत्र रच कर अंजाम दिया है. श्यामवीर इतना मूर्ख नहीं था कि रात में पूजा से मिलने उस के घर पहुंच जाता.

उसे साजिश के तहत बुलवाया गया था. बाद में उसे गांव से दूर दूसरे थाने की सीमा में खेत में ले जा कर पीटा गया. पूजा ने विरोध किया होगा, इसलिए उसे भी पीटा गया. रात में ही दोनों की हत्या कर दी गई.

पुलिस को भी यह औनर किलिंग का मामला लग रहा था. पुलिस ने दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया.

पुलिस ने श्यामवीर के ताऊ फूलसिंह तोमर की तहरीर पर बलवा, मारपीट और हत्या की धाराओं के तहत पूजा के पिता मोहनलाल, भाई कमल, मां मुनीशा, बहन रूमिका, चाचा रामनिवास, चचेरे भाई हरेंद्र व ओमवीर के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया. इस केस में एक अज्ञात को भी शामिल किया गया था. गांव में चर्चा थी कि घटना की पूरी साजिश पूजा के ताऊ बाबू ने रची थी.

श्यामवीर और पूजा के परिवारों में घनिष्ठ संबंध थे. दोनों परिवारों के खेत भी आपस में लगे हुए थे. यहां तक कि उन के घरों के बीच बस कुछ खेतों का फासला था. पिछले 2 वर्ष से श्यामवीर के चाचा विजय सिंह के गांव गौरऊ स्थित खेतों को पूजा के ताऊ बाबू ने बटाई पर ले रखा था.

बटाई पर खेत देने की वजह से श्यामवीर का बाबू के घर आनाजाना था. पूजा और उस के ताऊ के घर आमनेसामने थे. ताऊ के घर पर उस की पूजा से मुलाकात हो जाती थी.

श्यामवीर कदकाठी का कसा हुआ जवान था. पूजा उस की ओर आकर्षित हो गई. वह श्यामवीर को कनखियों से देखा करती थी. यह आभास श्यामवीर को भी था. वह भी मन ही मन पूजा को चाहने लगा था. जब कभी दोनों की नजरें मिलतीं तो दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे.

धीरेधीरे यह मुलाकात दोस्ती में बदल गई. फिर दोनों कभीकभी खेतों पर भी मिलने लगे. दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने फोन नंबर दे दिए थे. श्यामवीर धौलपुर में आटो चलाता था. जब वह धौलपुर चला जाता तो दोनों फोन पर बातें करते.

श्यामवीर जब धौलपुर आता तो उस का मन पूजा में ही रमा रहता. 2 साल पहले हुई दोनों की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला. श्यामवीर जब भी गांव आता, तो जब तक दोनों एकदूसरे को देख नहीं लेते, उन्हें चैन नहीं मिलता था. धीरेधीरे उन का प्यार परवान चढ़ने लगा.

हालांकि दोनों की जाति अलगअलग थीं. इस के बावजूद दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था. दोनों ही बालिग होने की दहलीज पर थे, इसलिए उन्होंने सोच रखा था कि बालिग होते ही शादी कर लेंगे.

श्यामवीर के धौलपुर जाने पर पूजा का किसी काम में मन नहीं लगता था. उसे श्यामवीर के गांव लौटने का बेसब्री से इंतजार रहता था. गांव देहात में प्यारमोहब्बत की बातें ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पातीं. अगर किसी एक व्यक्ति को ऐसी किसी बात की भनक लग जाती है तो कानाफूसी से बात पूरे मोहल्ले में ही नहीं, बल्कि गांव भर में फैल जाती है.

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पूजा के घर वालों को भी पता चल गया था कि उस का श्यामवीर के साथ चक्कर चल रहा है. लिहाजा मां और पिता ने पूजा को समझाया कि वह उस लड़के से मिलना बंद कर दे. पर उस के सिर पर तो प्यार का भूत सवार था. समझाने का उस पर कोई असर नहीं हुआ. उधर श्यामवीर के घर वालों ने भी उसे समझाया कि वह पूजा से दूर रहे. लेकिन उस पर भी कोई असर नहीं हुआ. दोनों की मुलाकातों का सिलसिला चलता रहा.

श्यामवीर ने सोच रखा था कि पूजा को अपने साथ ले जाएगा. दोनों धौलपुर जा कर साथ रहेंगे. वहां उन का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा. पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी श्यामवीर पर आ गई थी. इस वजह से वह फिलहाल शादी नहीं करना चाहता था.

श्यामवीर और पूजा घटना से कुछ महीने पहले घर से भाग गए थे. बताते हैं श्यामवीर पूजा को ले कर धौलपुर चला गया था. घर वालों का सीधा शक उसी पर गया. उन्होंने उस के घर पर डेरा डाल दिया. घर वालों पर दबाव बना तो दोनों वापस लौट आए. तभी से दोनों परिवारों के बीच रंजिश हो गई थी. इस घटना के बाद पूजा पर पहरा कड़ा कर दिया गया था. वह घर में नजरबंद थी.

पूजा को गांव में छोड़ने के बाद श्यामवीर धौलपुर चला गया था. यह बात पुलिस को छानबीन में पता चली. वह धौलपुर में ही आटो चलाता था.

उस ने पूजा को एक मोबाइल दे दिया था. पूजा के घर वालों ने उस से वह मोबाइल छीन लिया था लेकिन किसी दूसरे नंबर से वह दोबारा श्यामवीर के संपर्क में आ गई थी. वह उस से छिप कर बात करने लगी थी.

श्यामवीर का परिवार जाति से ठाकुर और पेशे से किसान था. गांव में ठाकुर जाति के लड़के और कुशवाहा जाति की लड़की के प्रेम के बारे में खूब चर्चा थी. गांव के युवा दोनों को लैलामजनूं कहते थे.

अगली कड़ी में पढ़ें-  क्या पूजा और श्यामवीर  एक दूसरे को अपना बना पाए ?

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य: मनोहर कहानी

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