मछलियां कर रहीं थी मगरमच्छों का शिकार
यह देह व्यापार और ब्लैकमेलिंग का वैसा और कोई छोटा मोटा मामला नहीं है जिसमें लोगों को पता चल जाये कि पकड़े गए लोगों के नाम, बल्दियत और मुकाम क्या हैं बल्कि हैरतअंगेज बात इस हाइ प्रोफाइल मामले की यह है कि इसमें उन औरतों के नाम और पहचान उजागर हो जाना है, जो अपने हुस्न के जाल में मध्यप्रदेश के कई नेताओं और आईएएस अफसरों को फंसाकर करोड़ों रुपए कमा चुकी हैं .
खूबसूरत, स्टायालिश, सेक्सी और जवान औरत किसी भी मर्द की कमजोरी होती है लेकिन जब वे मर्द अहम ओहदों पर बैठे हो तो बात चिंता की हो जाती है. क्योंकि इनकी न केवल समाज में इज्जत और रसूख होता है बल्कि ये वे लोग हैं जो सरकार की नीतियां रीतियां बनाते हैं . करोड़ों का लेनदेन इनके कहने पर होता है. सूट बूट में चमकते दमकते दिखते रहने वाले इन खास लोगों में बस एक बात आम लोगों जैसी होती है. वह है जवान औरत का चिकना शरीर देखते ही उस पर बिना सोचे समझे फिसल जाना.
फिसल तो गए लेकिन अब इनका गला सूख रहा है, नींद उड़ी हुई है और हलक के नीचे निवाला भी नहीं उतर रहा. वजह यह डर है कि खुदा न खासता अगर नाम और रंगरेलियां मनाते वीडियो उजागर और वायरल हो गए तो कहीं मुंह दिखाने काबिल नहीं रह जाएंगे. जांच एजेंसियां यह भी पूछेंगी कि इन बालाओं पर लुटाने ढेर सी रकम आई कहां से थी और ब्लैकमेलिंग से बचने इन्हें कैसे कैसे उपकृत किया गया. यानी ब्लैकमेलिंग की रकम का बड़ा हिस्सा एक तरह से सरकार दे रही थी .
यह है मामला : इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर नाम हरभजनसिंह ने 17 सितंबर को पुलिस में रिपोर्ट लिखाई थी कि 2 औरतें उसे ब्लैकमेल कर रही हैं. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. भोपाल की आरती दयाल की हरभजन से दोस्ती थी. आरती एक एनजीओ चलाती है और कई अफसर और नेताओं से उसके नजदीकी संबंध हैं और इतने गहरे हैं कि एक आइएएस अफसर ने तो उसे मीनाल रेसीडेंसी जैसे पाश इलाके में एक महंगा फ्लैट दिला रखा था. यह आईएएस अफसर भोपाल और इंदोर का कलेक्टर भी रह चुका है.
आरती इस अफसर को ब्लैकमेल कर रही थी जिससे पीछा छुड़ाने इस अफसर ने उसे होशंगाबाद रोड पर एक प्लाट भी दिलाया था. आरती ने इसके बाद भी उसका पीछा छोड़ा या नहीं यह तो भगवान कहीं हो तो वही जानें लेकिन आरती ने दूसरा शिकार हरभजन सिंह को बनाया. उसने हरभजन की दोस्ती नरसिंहगढ़ की 18 साला छात्रा मोनिका यादव से करा दी. कम उम्र में ही दुनियादारी में माहिर हो गई मोनिका ने हरभजन को अपना दीवाना बना लिया जिसके चलते हरभजन उसका भजन करने लगा और आरती पूजा करने एक दिन उसे एक होटल के कमरे में ले गया.
मोनिका और उसकी गुरुमाता आरती ने प्यार के इस पूजा पाठ को कैमरे में कैद कर लिया ताकि सनद रहे और वक्त जरूरत काम आए. उधर मोनिका के गुंदाज बदन और नई नई जवानी का रस चूस रहे हरभजन को पता ही नहीं चला कि सेक्स करते वक्त वह कैसा लगता है और कैसी कैसी हरकतें करता है. यह सब मोनिका और आरती ने उसे चलचित्र के जरिये दिखाकर अपनी दक्षिणा जिसे ब्लैकमेलिंग कहते हैं मांगी तो वह सकपका उठा.
कोई 8 महीने बेचारा साबित हो गया हरभजन ईमानदारी से पैसे देता रहा लेकिन हद तब हो गई जब इन दोनों ने और 3 करोड़ रु की मांग कर डाली. बस इस भारी भरकम मांग से उसकी सब्र टूट गई तो उसने इंदौर के पलासिया थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस को मामला इतना दिलचस्प लगा कि उसने बिना हेलमेट वालों के चालान बगैरह बनाने जैसा अपना पसंदीदा काम एक तरफ रखते तुरंत ही कार्रवाई शुरू कर दी .
ऐसे मौकों पर पुलिस जाने क्यों समझदार हो जाती है उसने प्लान बनाया और मोनिका व आरती को रकम की पहली किश्त 50 लाख रु लेने इंदौर बुलाया. ये दोनों इंदौर पहुंची तो विजय नगर इलाके में इन्हें यू आर अंडर अरेस्ट बाला फिल्मी डायलौग मारते गिरफ्तार कर लिया .
दो दो श्वेताएं : जिसे पुलिस कहानी का खत्म होना मान रही थी वह दरअसल में कहानियों की शुरुआत थी. पूछताछ में आरती ने बताया कि ब्लैकमेलिंग के इस खेल में और भी महिलाएं शामिल हैं इनमें दो के नाम एक से श्वेता जैन हैं. पहली श्वेता 39 साल की है और भोपाल के मीनाल रेसीडेंसी में रहती है उसके पति का नाम विजय जैन है और दूसरी श्वेता जैन के पति का नाम स्वप्निल जैन है. 48 साल की यह श्वेता भोपाल की सबसे महंगी टाउनशिप रिवेरा में रहती है. तलाक़शुदा आरती ने बड़ी शराफत और पूरी ईमानदारी से बताया कि वह छतरपुर की रहने बाली है और वहां भी दस लोगों को ब्लैकमेल कर चुकी है यानी यह उसका फुल टाइम जौब है.
भोपाल पुलिस ने भी सड़क चलते वाहन चालकों को बख्शते इन श्वेताओं को गिरफ्तार कर लिया. ये दोनों भी बड़ी शानोशौकत वाली निकलीं. सागर की रहने वाली श्वेता जैन के यहां से पुलिस ने 14 लाख 17 हजार रुपए बरामद किए. यह श्वेता एक इलेक्ट्रिक कंपनी की भी मालकिन निकली. इसके पास से 2 महंगी कारें मर्सिडीज और औडी भी मिलीं. साल 2013 में इसने सागर विधानसभा से चुनाव लड़ने भाजपा से टिकट भी मांगा था लेकिन भाजपा के ही एक बड़े नेता ने उसका टिकट कटवा दिया था. इसके बाद भी उसके भाजपा नेताओं से अच्छे और गहरे संबंध थे. दूसरी श्वेता (स्वप्निल बाली) के पास से भी एक औडी कार मिली. पता यह भी चला कि वह मूलतः जयपुर की रहने वाली है और उसका पति पेशे से थेरेपिस्ट है और अक्सर पब पार्टियों में देखा जाता है .
इन दोनों को भाजपा विधायक ब्रजेन्द्र सिंह ने मकान किराए पर दिया है इसके पहले ये एक दूसरे भाजपा विधायक दिलीप सिंह परिहार के मकान में किराए से रहते थे इस मकान में इन दिनों भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा भारती रह रही हैं. पूरी छानबीन का सार यह रहा कि दोनों खूबसूरत श्वेताओं के पास बेशुमार दौलत और जायदाद है और इनके पास ऐशो आराम के तमाम सुख साधन भी मौजूद हैं .
दो दो मास्टर माइंड : इतना होने के बाद और भी महिलाओं के नाम सामने आए इनमे से असली मास्टर माइंड कौन है यह तय होना अभी बाकी है. कुछ लोग सागर बाली श्वेता को ही मास्टर माइंड मान रहे हैं तो कुछ की नजर में असली सरगना बरखा भटनागर है. बरखा अपने पहले पति को तलाक दे चुकी है और उसने दूसरी शादी अमित सोनी से की है. अमित सोनी कभी कांग्रेस के आईटी सेल से जुड़ा था और साल में 2015 में बरखा भी कांग्रेस में आ गई थी.
ये दोनों भी एक एनजीओ चलाते हैं जो एग्रीकल्चर से जुड़े प्रोजेक्ट लेता है. साल 2014 में बरखा का नाम देह व्यापार के एक मामले में आया था तब से वह सक्रिय राजनीति से अलग हो गई थी. इसी दौरान उसकी मुलाकात श्वेता जैन से हुई थी. बरखा वक्त वक्त पर कई कांग्रेसी दिग्गजों के साथ अपने फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती है. सागर बाली श्वेता को एक बार सागर में एक कलेक्टर साहब के पत्नी ने रंगे हाथों पकड़ा था.
जलवा था इनका : बीएससी में पढ़ रही मोनिका यादव को आरती ने गिरोह में शामिल किया था. जो जवान थी और जल्द ही अफसरों और नेताओं को अपने हुस्न जाल में फसाने में माहिर हो गई थी. कई नेताओं के यहां भी उसका आना जाना था .
जब राज खुलना शुरू हुये तो पता यह भी चला कि इन पांचों की तूती प्रशासनिक गलियारों में भी बोलती थी इनके कहने पर तबादले होते थे, नियुक्तियां भी होतीं थीं और ठेके भी मिलते थे. ये तीन पूर्व मंत्रियों सहित सात आइएएस अफसरों को ब्लैकमेल कर रहीं थीं और पूरी दिलेरी से कर रहीं थीं. हाल तो यह भी था कि इनके पकड़े जाने के बाद कई अफसर पुलिस हेड क्वार्टर फोन कर पुलिस अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे कि उनका नाम सामने न आए .
इनके मोबाइलों में कईयों की ब्लू फिल्में हैं .
इन पर नकाब क्यों : लेकिन पुलिस उनके नाम उजागर नहीं कर रही है आमतौर पर जैसा कि ऊपर बताया गया है ऐसे मामलों में पुलिस महिलाओं के नाम छुपाती है और पुरुषों के उजागर कर देती है पर यह मामला है जिसमें महिलाओं के नाम और फोटो उजागर किए गए और महापुरुषों के नहीं .
पुलिस क्यों इन सफेदपोशों के चेहरों पर नकाब ढके हुये है: यह बात भी साफ उजागर है कि कथित आरोपी महिलाओं को उसने गुनहगार मानते उनकी जन्म कुंडलियां मीडिया के जरिये बांच दीं लेकिन अय्याश और रंगीन मिजाज नेताओं और अफसरों को वह बचा रही है. जबकि जनता को पूरा हक है कि वह इन के बारे में जाने. ऐसा होगा, ऐसा लग नहीं रहा क्योंकि सरकार नहीं चाहती कि इन सफेदपोशों की बदनामी हो.
महज हरभजन द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर सारी कार्रवाई होना पुलिस की नियत और मंशा को शक के कटघरे में खड़ी कर रही है. जिन जिन रसूखदारों के साथ इनके आपत्तिजनक फोटो व वीडियो मिले हैं उनके नाम उजागर हों तो समझ आए कि वाकई ये ब्लैकमेलर हैं .