केवल सिंह खेत की मेड़ पर बैठे सुस्ता रहे थे, तभी उन के नजदीक आ कर एक लंबी सी कार रुकी. कार से 3 लोग उतरे. उन में एक उन का बेटा जगदीप भी था. उस के साथ आए लोगों ने केवल सिंह के नजदीक आ कर नमस्कार किया तो नमस्कार कर के केवल सिंह ने उन लोगों को सवालिया नजरों से देखा.
दोनों कुछ कहते, उस के पहले ही उन दोनों का परिचय कराते हुए जगदीप सिंह ने कहा, ‘‘बापूजी, यह सिद्धू साहब हैं. इन्हें हमारी जमीन बहुत पसंद है. यह हमें बाजार भाव से कई गुना ज्यादा दाम दे कर हमारी जमीन खरीदना चाहते हैं.’’
जगदीप सिंह की बातें सुन कर केवल सिंह की त्यौरियां चढ़ गईं. उन्होंने बेटे को एक भद्दी सी गाली देते हुए कहा, ‘‘तुझ से किस ने कहा कि मेरी यह जमीन बिक रही है. जब देखो तब तू किसी न किसी को परेशान करने के लिए पकड़ लाता है. जब एक बार कह दिया कि यह हमारे पुरखों की जमीन है, मैं इसे जीतेजी नहीं बेच सकता तो तू क्यों लोगों को परेशान करने के लिए लाता है. अगर आज के बाद फिर कभी किसी को ले कर आया तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’
इस के बाद बापबेटे में बहस होने लगी. बापबेटे को झगड़ा करते देख जमीन का सौदा करने आए लोग चुपचाप वहां से खिसक गए. बापबेटे में जमीन को ले कर हुआ यह झगड़ा कोई नया नहीं था.
पंजाब के जिला बरनाला के थाना भदौड़ के गांव मुजूक के रहने वाले पाल सिंह के 3 बेटे थे, केवल सिंह, सुखमिंदर सिंह और मंजीत सिंह. पाल सिंह ने तीनों बेटों की शादियां कर के जीतेजी जमीन को उन में बांट दिया था. तीनों भाई गांव में अलगअलग मकान बना कर अपनेअपने परिवारों के साथ रह रहे थे. तीनों भाई रहते भले अलग थे, लेकिन उन में और उन के परिवारों में काफी मेलजोल था.