अब कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां महिलाओं की भागीदारी न हो. अनेक महिलाओं ने तो कई क्षेत्रों में अपनी मेहनत के बूते पर इतनी बड़ी सफलता पा ली है कि वह औरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं. उन्हीं में से एक हैं सुचि मुखर्जी. मुखर्जी एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने खुद की काबिलियत के दम पर एक ऐसी कंपनी खड़ी कर दी, जिस का सालाना टर्नओवर अरबों रुपए है.

लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से मैथ्स और इकोनोमिक्स में बीए करने के बाद सुचि ने लंदन स्कूल औफ इकोनौमिक्स से फाइनैंस में मास्टर डिग्री ली. पढ़ाई पूरी करने के बाद सुचि ने लेहमन ब्रदर्स कंपनी से अपने कैरियर की शुरुआत की. सीनियर एसोसिएट के पद पर उन की पहली नौकरी लगी. यहां इन्होंने टेलीकाम मीडिया टैक्नोलौजी और फाइनेंस इंस्टीट्यूशन पर अपना फोकस किया.

लेहमन ब्रदर्स कंपनी में 5 साल से अधिक नौकरी करने के बाद उन्होंने बर्जिन मीडिया कंपनी जौइन की. सुचि नौकरी कर जरूर रही थीं, लेकिन उन की उड़ान का क्षेत्र कोई दूसरा ही था. वह नौकरी के बजाए अपना ही कोई बिजनैस करना चाहती थीं.

जब वह फुरसत में होती थीं तो यही सोचती थीं कि कौन सा बिजनैस शुरू किया जाए. बहरहल इस कंपनी में 2 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने औनलाइन वीडियो काल्स एप्लीकेशन स्काइप और ई-कौमर्स कंपनी ईबे में भी अपनी सेवाएं दीं.

सुचि के अंदर बेहतरीन कार्यक्षमता थी. अपनी लीडरशिप स्किल के बलबूते ही उन्होंने विज्ञापन पोर्टल गुमटूर को सूबे का सब से सफल पोर्टल बना दिया था.

एक दिन सुचि लंदन में एक मैगजीन पढ़ रही थीं. उस मैगजीन में उन्होंने एक ज्वैलरी की फोटो देखी. वह ज्वैलरी उन्हें पसंद आ गई. वह उसे खरीदना चाहती थीं. लेकिन इस में समस्या यह थी कि वह ज्वैलरी मुंबई (भारत) की छोटी दुकानों पर उपलब्ध थी. वह उस समय मुंबई से काफी दूर थीं, वहां से उस ज्वैलरी को खरीदना उन के लिए असंभव था. इस वाकए ने सुचि के अंदर एक विचार पैदा किया.

उन्होंने सोचा कि क्यों न एक ऐसा प्लेटफार्म बनाया जाए, जहां पर महिलाओं की लाइफस्टाइल से संबंधित सभी प्रोडक्ट्स हों और वह प्रोडक्ट किसी महिला की डिमांड पर उस के घर पहुंचाए जा सकें. उन की योजना भारत के मंझले और छोटे कारोबारियों को एक डिजिटल मंच पर लाने की थी. इसी विचार के लिए वह भारत लौट आईं.

भारत आते ही उन्होंने सब से पहले रिलाइंस हाइपरलिंक में सप्लाई चेन के हैड अंकुर मेहरा से मुलाकात की. उन से उन्होंने बिजनैस में आने वाली संभावित प्रौब्लम्स के बारे में समझा. स्टार्टअप के संबंध में फेसबुक और माइक्रोसौफ्ट में काम कर चुके प्रशांत मलिक से बात की. इस के बाद पूरी प्लानिंग के साथ उन्होंने ‘लाइमरोड डौट काम शौपिंग पोर्टल’ की शुरुआत कर दी.

2 बच्चों की मां सुचि मुखर्जी इस बात को अच्छी तरह जानती थीं कि देश दुनिया में महिलाओं को किस तरह के प्रोडक्ट पसंद हैं. इस तरह उन्होंने अपने पोर्टल पर महिलाओं की लाइफस्टाइल से जुड़े तमाम प्रोडक्ट डाल दिए. कुछ ही दिनों में यह पोर्टल महिलाओं द्वारा बहुत ज्यादा पसंद किया जाने लगा. इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब लाइमरोड एप की पहुंच 400 मिलियन से अधिक स्मार्टफोनों तक हो चुकी है, जिस में 30-35 प्रतिशत तक महिलाएं हैं.

अंकुर मेहरा और प्रशांत मलिक इन दिनों लाइमरोड डौट काम के सहसंचालक हैं. इन की कंपनी की प्रसिद्धि इतनी तेजी से बढ़ी है कि कंपनी का सालाना का टर्नओवर अरबों रुपए हो गया है. लाइमरोड डौट काम की सफलता को देखते हुए टाइगर ग्लोबल, लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर, मैट्रिक्स पार्टनर इंडिया आदि कंपनियां उसे 50 मिलियन डौलर (330 करोड़ रुपए से अधिक) की फंडिंग कर चुकी हैं.

वास्तव में सुचि मुखर्जी ने अपने हौसले के जरिए इतना बड़ा जो कारोबार स्थापित किया है, वह सराहनीय है. सुचि मुखर्जी आज अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.

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