कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन ने चोर-उचक्कों को बदहाली और भुखमरी की कगार पर ला खड़ा किया है. जब हर आदमी अपने घर में है और सड़कों पर दिन-रात पुलिस टहल रही है तो चोरों का बिज़नेस ठप्प होना निश्चित ही है.कोरोना के आने से पहले करोल बाग़ मेट्रो स्टेशन के नीचे बने पब्लिक टॉयलेट की टंकी में हर दिन दस से पंद्रह पर्स पड़े मिलते थे, अब एक भी नहीं मिलता. दरअसल करोल बाग़ मार्किट काफी गुलज़ार रहता था। तिल धरने की जगह नहीं होती थी. कपड़ों, जूतों, आर्टिफीसियल ज्वेलरी और खाने पीने के स्टाल्स पर पब्लिक टूटी पड़ी रहती थी.इनके बीच ही उचक्के अपना काम करते थे.

किसी का पर्स उड़ा लिया, किसी की पॉकेट मार ली.और फिर सीसीटीवी कैमरे के डर से पब्लिक टॉयलेट में घुस कर उसमे से पैसे निकाल कर खाली पर्स वहीँ टंकियों में डाल जाते थे. मगर अब लॉक डाउन ने इनका धंधा पूरी तरह चौपट कर दिया है। मार्किट सुनसान पड़ा है और सड़क पर पुलिस का पहरा है.ये तो महज़ एक जगह का किस्सा भर है. देश भर में लागू लॉकडाउन के बीच अपराध का ग्राफ तेज़ी से गिरने की खबरें आ रही हैं.राज्‍यों के पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक उत्‍तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, कर्नाटक समेत कई राज्‍यों में आपराधिक घटनाओं में भारी कमी आई है.

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हालांकि, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो ने अभी इसको लेकर कोई आंकडा जारी नहीं किया है, लेकिन राज्‍यों के पुलिस विभाग से मिली जानकारी के आधार पर उत्‍तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, कर्नाटक समेत कई राज्‍यों में आपराधिक घटनाओं में काफी कमी आ चुकी है. पुलिस का कहना है कि सड़क पर सीआरपीएफ की टुकड़ियां तैनात हैं. जगह-जगह पुलिस की गाड़ियां घूम रही हैं। ऐसे में अपराधी वर्ग की हिम्मत नहीं है कि कोई बाहर निकल भी आये.इस बीच गाड़ियों की चोरी की वारदातें भी लगभग थम गई हैं. वहीँ अपराधियों में भी संक्रमण का खौफ है. इसलिए वे बाहर नहीं निकल रहे हैं. अधिकाँश तो अपने घरों को पलायन कर गए हैं. इसलिए भी अपराध थम गए हैं.कुछ जगहों पर थानों में लॉकडाउन उल्‍लंघन के मामले ही दर्ज किए गए हैं.इसमें धारा-144 का उल्लंघन के साथ ही महामारी अधिनियम के मामले शामिल हैं.इस दौरान हत्या, अपहरण, चोरी-डकैती, लूटपाट, छीना-झपटी में जबरदस्‍त कमी आई है.

दिल्‍ली में घटे अपराध

राष्‍ट्रीय राजधानी की बात करें तो दिल्‍ली-एनसीआर में लॉकडाउन के दौरान आपराधिक वारदातों में जबरदस्‍त गिरावट दर्ज की गई है. दिल्‍ली पुलिस की वेबसाइट बताती है कि इस दौरान घृणित अपराधों की श्रेणी में आने वाला एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. सरकारी कामकाज में रुकावट डालने को लेकर ही कुछ मामले दर्ज किए गए है.

यूपी में 99 फीसदी गिरावट

उत्‍तर प्रदेश में भी अपराधियों पर लॉक डाउन का असर साफ दिख रहा है। प्रदेश में लूट, रेप, हत्‍या और डकैती जैसे अपराधों में 99 फीसदी गिरावट आई है. जबकि कोरोना की दस्तक से पहले यूपी में हर दिन महिलाओं के साथ हिंसा, बलात्कार आदि के औसतन 162 मामले दर्ज होते थे. यूपी पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के पहले 6 महीने में यूपी में 19,761 आपराधिक मामले दर्ज़ हुए थे. इनमें हत्‍या के 1,088, रेप के 1,224, शारीरिक शोषण के 4,883, अपहरण के 5,282, छेडछाड के 293 और घरेलू हिंसा के 6,991 मामले शामिल थे, वहीं, लॉकडाउन के दौरान अब तक यूपी पुलिस ने 3,710 मामले ही दर्ज किए हैं और ये सभी मामले लॉकडाउन उल्‍लंघन से जुडे हुए हैं. इनमें कुछ मामले कालाबाजारी के भी हैं। मुजफ्फनगर में इस बीच गोलीबारी की एक वारदात हुई है.

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महाराष्‍ट्र में लॉकडाउन का असर

महाराष्‍ट्र पुलिस के मुताबिक़ आपराधिक घटनाओं पर लॉकडाउन का असर साफ नजर आ रहा है. इस दौरान राज्‍य में गंभीर और अति-गंभीर श्रेणी के अपराध बंद हो गए हैं. वाहन चोरी की कोई घटना दर्ज नहीं हुई है, वहीँ महिलाओं के प्रति अपराध में भी 99 फ़ीसदी की कमी देखी जा रही है. कोरोना को ले कर मुंबई हाई अलर्ट पर है. हर जगह नाकाबंदी है.पहले जहां रोज चोरी, मारपीट, रेप के मामले दर्ज होते थे, वहीं, अब इस तरह का एक भी मामला दर्ज नहीं हो रहा है. छिटपुट वारदातों को छोडकर अपराधों में जबरदस्‍त कमी आई है. मुंबई में धारा-188 के तहत दर्ज मामलों में 280 से ज्‍यादा लोग गिरफ्तार किए गए हैं.वहीं, 25 से ज्‍यादा लोगों को नोटिस देकर छोड दिया गया है. इसके अलावा 20 से ज्‍यादा आरोपियों की तलाश जारी है.पुलिस का मानना है कि अधिकाँश छोटे अपराधी कोरोना और लॉक डाउन के चलते अपने गाँव-कस्बों को लौट गए हैं, इसकी वजह से भी अपराध रुक गए हैं.

राजस्‍थान में अपराध 75 फीसदी कम

राजस्‍थान के 850 थानों में दर्ज मामलों की संख्‍या के आधार पर साफ है कि अपराध में 75 फीसदी कमी आई है. राजस्थान पुलिस के इतिहास में यह अब तक का सबसे कम आंकडा है. हालांकि, राजस्‍थान में भी लॉकडाउन के उल्‍लंघन के काफी मामले दर्ज किए गए हैं. 3,500 से ज्‍यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. राज्‍य में 22 मार्च से लेकर आज तक कुल 1,750 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि इस महीने के पहले सप्ताह में ही 6,000 से ज्‍यादा मामले दर्ज किए गए थे. राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध) बीएल सोनी के मुताबिक अपराधों का ग्राफ नीचे गिरा है.

झारखंड में लॉकडाउन उल्‍लंघन के केस ज्‍यादा

झारखंड में लॉकडाउन के बाद और पहले के एक हफ्ते के अपराध के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो काफी अंतर आया है.हत्या, अपहरण, चोरी-डकैती, लूटपाट, छीना-झपटी में बहुत कमी आई है. राजधानी में ही लॉकडाउन के एक सप्ताह पहले इस तरह के 18 मामले दर्ज किए गए.वहीं, लॉकडाउन के बाद ऐसे अपराधों की संख्या शून्य है.

पश्चिम बंगाल में अपराध आधे हुए

पश्चिम बंगाल में लॉक डाउन के दौरान अपराध के मामले लगभग आधे हो गए हैं. राज्‍य में डकैती और छेड़छाड़ जैसे मामलों में भारी गिरावट है.छीना-झपटी, चेन-खींचने, पॉकेट चोरी जैसे मामले शून्य हैं. बीते 11 दिनों में विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज मामलों की संख्या 300 से अधिक नहीं है जबकि जनवरी और फरवरी में करीब 600 मामले दर्ज किए गए थे.

कर्नाटक में सड़क हादसों में कमी

पश्चिम बंगाल पुलिस के मुताबिक, कर्नाटक में अपराध में कमी देखने को मिली यही. रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौतों में भी गिरावट आई है. ट्रैफिक पुलिस डाटा के मुताबिक, मार्च 2019 में रोड एक्सीडेंट में 82 लोग मारे गए थे, जबकि इस साल मार्च में 52 मामले ही आये हैं.लॉकडाउन के बाद सड़कों पर वाहनों में भी भारी कमी है.ज्यादातर लोगों की मौत लापरवाही और अनदेखी से होती है.वहीं, चेन खींचने के सिर्फ बेंगलुरु में ही मार्च, 2019 में 24 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि इस बार एक भी नहीं हैं.

हरियाणा, पंजाब, गुजरात, समेत तमाम राज्‍यों में अपराध का ग्राफ नीचे गिरा है.हालांकि बिहार में अपराधियों की कारगुज़ारियों में कुछ ख़ास कमी नहीं आयी है.वहां लॉक डाउन के बीच भी गोलीबारी की कई घटनाएं हुई हैं.

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