एक विचार- वर्तमान संकट के बाद शीर्षक से व्हाट्सएप पर तेजी से वायरल होती एक पोस्ट के आदि और अंत पर आप भी गौर फर्माए–

आदि - जब हम लोग सामान्य जीवन में वापस जाएंगे तो उस समुदाय से किनारा कर लेंगे जो आजकल देश पर थूक रहा है -----

अंत – इस कौम के प्रति अपनी घृणा को स्थायी बना लीजिए राम जी ने धनुष तोड़ा था,

आप इनका आर्थिक साम्राज्य  ..... जय श्रीमन्नारायन .

इस पूरी पोस्ट के बीच में इस्लाम और मुसलमानों के प्रति नफरत दर्शाने में कोई लिहाज,  परहेज या कंजूसी नहीं बरती गई है बल्कि यथासंभव उदारता दिखाई गई है. एक नहीं ऐसी दर्जनो पोस्टें सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं हैं जिन्हें शुभ संकेत लोकतन्त्र, संविधान (अगर इन शब्दों की कोई प्रासंगिकता किसी को लगती हो तो) और देश के लिहाज से नहीं मानी जा सकतीं. इस पोस्ट का खासतौर से जिक्र इसलिए कि यह किसी बुद्धिजीवी लेखक द्वारा लिखी गई प्रतीत होती है जिसमें यह भी कहा गया है कि– कोरोना , संकट लेकर तो आया है लेकिन ये आपको विराधु बनाकर जाएगा. यहाँ भारतीय अर्थव्यवस्था की मृत्यु होने नहीं जा रही किन्तु जमाती अर्थव्यवस्था के अंतिम दिन चल रहे हैं दरगाह जाने बालों का सामाजिक बहिष्कार आपके हाथ में होगा.

जाने एक आयातित खलनायक को -

मुमकिन है यहां विराधु शब्द के माने आप भी दूसरे कई लोगों की तरह न समझ पाएं हों तो समझ लीजिये कि यहाँ विराधु शब्द हिन्दू धर्म ग्रन्थों से नहीं उड़ाया गया है. विराधु दरअसल में एक कट्टरपंथी बौद्ध भिक्षु है जिसका पूरा नाम अशीन विराधु है उसकी उम्र 52 साल है. म्यामर में भगवान की तरह पूजे जाने बाले विराधु ने 14 साल की उम्र में ही भिक्षु जीवन अपना लिया था. साल 2012 में जब राखिने प्रांत में रोहिङ्ग्या मुसलमानों और बौद्धों के बीच हिंसा भड़की थी तब विराधु के मुस्लिम विरोधी भाषण बड़े चाव से सुने जाते थे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...