Creation Of Universe : पृथ्वी का जन्म कैसे हुआ, धरती पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई, इंसान को किस ने बनाया जैसे प्रश्न अकसर पूछे जाते हैं. ये प्रश्न मानव कुतूहल के स्वाभाविक प्रश्न नहीं हैं. मानव कुतूहल से उपजे प्रश्न मानव के अस्तित्व से जुड़े थे- परिस्थितियों के अनुकूल कैसे जीना है, प्राकृतिक आपदाओं से कैसे बचना है, जंगली जानवरों से अपनी और अपने झुंड की सुरक्षा कैसे करनी है, अपने मवेशियों के लिए बेहतर चरागाह कहां ढूंढ़ना है?
मानव की जिज्ञासाएं यहीं तक सीमित थीं. बारिश, तूफान, आग, बिजली और भूकंप जैसी आपदाओं के पीछे के कारणों को आदिकाल का मानव नहीं जानता था, न ही जानना चाहता था. इन प्राकृतिक आपदाओं के डर से ही आदिमानव ने इन्हें पूजना शुरू कर दिया होगा. यहां भी मानव के कुतूहल में केवल अपने सर्वाइवल से जुड़े प्रश्न थे.
अमेजन के जंगलों में रहने वाले ट्राइब्स हों या अफ्रीका के आदिवासी कबीले, आज भी उन की सहज जिज्ञासाएं उन के सर्वाइवल तक ही सीमित हैं. ये आदिवासी लोग मानव के लाखों वर्षों के विकासक्रम की जिंदा तसवीर हैं. दूरदराज के जंगलों में रहने वाले जो आदिवासी कबीले बाहरी धर्मों के संक्रमण से बच गए उन की संस्कृति में आज भी कोई धर्म या अल्लाह, भगवान या गौड नहीं है. पृथ्वी का जन्म कैसे हुआ, धरती पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई, इंसान को किस ने बनाया जैसे प्रश्नों का आदिवासी संस्कृतियों में कोई मतलब नहीं था और न आज है. आज भी आदिवासी संस्कृति केवल सर्वाइवल से जुड़े प्रश्नों पर ही आधारित है.
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