कोविड 19 वायरस के कारण उपजे कोरोना काल में पूरे देश  में मरने वालों की संख्या लाखों में पहुंच गई है. कोराना ही दूसरी लहर में यह संख्या तेजी से बढती जा रही है. भारत में संक्रमति लोगों की संख्या प्रतिदिन 3 लाख के करीब है. मरने वालों की संख्या 2 हजार के आसपास प्रतिदिन का है. 26 अप्रैल तक कुल संक्रमित लोगो की संख्या 28 लाख और मरने वालों की संख्या 1 लाख 95 हजार है. यह आंकडा रोज बदल रहा है. जानकार लोगो का दावा है कि मरने वालों की जितनी संख्या सरकार बता रही वास्तविक संख्या उससे कई गुुना ज्यादा है.

ऐसे में अंदाजा लगाना सरल है कि कोरोना से प्रभावित परिवारों की संख्या कितनी बडी है. कितने परिवारों को इस त्रासदी से गुजरना पड रहा है. इसका प्रभाव घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड रहा  है. परिवार के परिवार आर्थिक बोझ से टूट रहे है. सरकार के मुफ्त इलाज का दावा पूरी तरह खोखला है. इलाज के नाम पर अस्पतालों की फीस और दवा का खर्च लाखों आ रहा है. केवल वंेटिलेटर और आक्सीजन का प्रबंध करने में ही कमर टूट जा रही.

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सबसे खराब हालत उन परिवारों की है जिनमें कमाने वाले की मौत हो गई. सरकार की तरफ से ऐसे परिवारों की मदद के लिये किसी भी तरह की मदद की कोई योजना नहीं है. केन्द्र सरकार ने केवल कुछ गरीब परिवारो के लिये आनाज का प्रबंध करने की घोषणा की है. केवल खाने के प्रबंध से घर का चलना मुष्किल हो रहा है. इसकी वजह यह भी है कि मरने के बाद सरकार किसी भी तरह से सहयोग देने को तैयार नहीं है. सरकार के अफसर कोविड से होने वाली मौत के बाद भी अकड दिखाने मे पीछे नहीं रह रहे. डेथ सार्टिफिकेट, बैंको में नाम बदलने की प्रक्रिया, घर में नाम बदलने की प्रक्रिया और तमाम तरह के टैक्स चालू रहेेगे. घर के मालिक के ना रहने के बाद भी सरकार के द्वारा रियायत की कोई योजना नहीं है. जिससे परेशानी और भी बढ रही है.

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