कहावत है, 'कितना ही उड़ लो आखिर एक दिन जमीन पर तो आना ही होगा.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी यही है।

घरेलू रसोई गैस के दाम को ले कर जिस तरह देशभर में गुस्सा और आक्रोश था और जिस तरह केंद्र सरकार के संरक्षण में इस के दाम धीरेधीरे बढ़ते चले गए और जबजब विपक्ष ने यह मुद्दा उठाया नरेंद्र मोदी ने आंखें और कान बंद कर लिए और मंदमंद मुसकराते रहते। रसोई गैस तो एक उदाहरण है। पेट्रोल, डीजल आदि जो सीधेसीधे आम आदमी से जुड़ी हुई है, के दाम केंद्र सरकार के संरक्षण आवाम को ठेंगा दिखा कर बढ़ते चले गए और देश की जनता आज त्राहित्राहि कर रही है.

सचाई यह है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री क्या बन गए उन्होने अपने लिए ₹8,400 करोड का विमान खरीद लिया और उसी में दिनप्रतिदिन देशदुनिया में सैर करते दिखाई देते हैं और सिर्फ बड़ीबड़ी बातें कर के देश की जनता को यह संदेश देते हैं कि कोई लफ्फाजी हम से सीखे. देश, देशभक्ति, कांग्रेस, परिवारवाद, गांधी, नेहरू की बातें करकर के लोगों के जेहन में जहर डालने का काम करने से देश विकास के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता.

अचानक क्यों आई जनता की याद

यह जमीनी हकीकत सिद्ध हो गई जब पिछले 29 अगस्त की शाम को अचानक नरेंद्र मोदी सरकार ने बिना किसी के मांगे रसोई गैस के ₹200 दाम अचानक कम कर दिए. मगर सब से बड़ी बात यह है कि उस के बाद टीवी चैनल्स हों या फिर भाजपा के सोशल मीडिया प्लैटफौर्म, समाचारपत्र या फिर रेडियो, हर कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देने का प्रायोजित प्रोपेगेंडा अपने सबाब पर देखा गया।

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