महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में 2 नवंबर, 2018 की आधी रात को रालेगांव की बाघिन टी-1 को गोली मार दी गई. इस बाघिन को अवनि के नाम से जाना जाता था. 5 साल की अवनि ने इसी साल जनवरी में 2 शावकों को जन्म दिया था. करीब 10-10 महीने के ये दोनों शावक मां की मौत के बाद बेसहारा हो गए.

कहा जाता है कि बाघिन अवनि आदमखोर हो चुकी थी. करीब 2 साल में यह बाघिन 13 लोगों का शिकार कर चुकी थी. जिला यवतमाल के रालेगांव, पांढरकवड़ा और कलंब तहसील के करीब 25 गांवों में इस बाघिन का आंतक था. बाघिन अवनि को जंगल में तलाश करने के लिए करीब 2 महीने से वन विभाग और गैरसरकारी लोगों की टीमें युद्धस्तर पर जुटी हुई थीं. हालांकि पकड़ने का अभियान 10 महीने से चल रहा था.

बाघिन को ढूंढने के लिए मध्य प्रदेश के कान्हा नैशनल पार्क से 4 और नागपुर के ताड़ोबा से एक हाथी लाया गया था. थर्मल ड्रोन से भी उसे पकड़ने की कोशिश की गई. हैदराबाद से शार्प शूटर नवाब शफात अली खान को बुलाया गया.

देश के जानेमाने गोल्फर ज्योति रंधावा की भी सेवाएं ली गईं. जंगल में 100 से ज्यादा ट्रैप कैमरे लगाए गए, साथ ही 52 जगह प्रेशर इंप्रेशन पैड लगाए गए. जगहजगह बकरियों और घोड़ों को बांध कर मचान बनाए गए. दिल्ली से पैरा मोटर भी मंगवाई गई, लेकिन सभी कोशिशें नाकाम रहीं.

अवनि को आकर्षित करने के लिए नर बाघ के मूत्र का छिड़काव किया गया. बाघबाघिन के मूत्र की गंध एकदूसरे को आकर्षित करती है. नर बाघ मूत्र की गंध के सहारे ही मादा की तलाश करता है, जबकि मादा उस गंध के सहारे चलती हुई नर को ढूंढती है. इस के अलावा अमेरिका से मंगाए गए बाघबाघिन के मूत्र की गंध वाले विशेष रसायन सिवेटोन का भी जंगल में जगहजगह पर छिड़काव किया गया.

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