18 सितंबर, 2018 को ज्योंज्यों दिन चढ़ता जा रहा था, त्योंत्यों कामता की चिंता भी बढ़ती जा रही थी. उस के मन में तरहतरह की आशंकाएं उठने लगी थीं. दरअसल, गांव में बीती रात को गणेश पूजा का आयोजन था. इस पूजा में शामिल होने के लिए कामता के पिता विश्राम सिंह भी गए थे. कार्यक्रम खत्म हो जाने के बाद पासपड़ोस के सब लोग घर वापस लौट आए थे, लेकिन विश्राम सिंह नहीं लौटे थे.

कामता की समझ में नहीं आ रहा था कि उस के पिता कहां चले गए और घर क्यों नहीं लौटे. उस ने पूजास्थल और गांव का कोनाकोना छान मारा, जो लोग पूजा कार्यक्रम में गए थे. उन से भी पिता के बारे में पूछा, पर विश्राम सिंह का कुछ पता नहीं चल सका.

जब शाम तक विश्राम सिंह का कोई पता नहीं चला तो कामता अपने दोस्त विजय कोरी को साथ ले कर शाम करीब 5 बजे थाना महाराजपुर जा पहुंचा और इंसपेक्टर रविशंकर त्रिपाठी को पिता के लापता होने की जानकारी दे दी.

इंसपेक्टर रविशंकर त्रिपाठी ने 62 वर्षीय विश्राम सिंह की गुमशुदगी दर्ज कराने के बाद इस मामले की जांच एसआई धर्मपाल सिंह को सौंप दी.

एसआई धर्मपाल सिंह अपने साथ कांस्टेबल राजा सिंह, ओमप्रकाश और नीरज को साथ ले कर विश्राम सिंह के गांव रूमा पहुंच गए. वहां उन्होंने परिवार वालों व गांव के लोगों से विश्राम सिंह के बारे में पूछताछ की. उन सभी ने बताया कि विश्राम सिंह गणेश उत्सव में दिखाई दिए थे.

वह शराब के नशे में कार्यक्रम में नाच भी रहे थे. लेकिन कार्यक्रम खत्म होने के बाद कहां गए, इस का किसी को पता नहीं था. लोगों से बात करके पुलिस थाने लौट आई. वह दिन ही नहीं, अगला दिन भी बीत गया लेकिन विश्राम सिंह का कुछ पता नहीं चला. पिता के गायब होने से कामता का बुरा हाल था.

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