Consensual Sex: सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी आए जब भी आए लेकिन मुद्दा गंभीर और संवेदनशील है किशोरों की यौन इच्छाओं और सक्रियता पर अंकुश लगाने की बात ही अव्यवहारिक है. हां, इसे मैनेज करने के उपायों पर जरूर हर किसी को विचार करने की जरूरत है. खासतौर से खुद टीनएजर्स और पेरेंट्स को तो विवेक से काम लेना पड़ेगा.
चक्रपाणि महाराज, डा. विक्रम सिंह, नाजिया इलाही खान और डा. एपी सिंह के नाम हालांकि कम ही लोगों ने सुने होंगे लेकिन जिन्होंने भी सुने होंगे वे यह भी जानते हैं कि इन लोगों का पसंदीदा कामधंधा धर्म रक्षा का है. इसके लिएए लोग हर उस काम का विरोध करते रहते हैं जिसके होने से मानव मात्र और उसमें भी महिलाओं का भला होता हो लेकिन धर्म, संस्कृतिऔर भगवा गैंगवगैरह उसे सहमति और अनुमति न देते हों. जो कोई भी उदारवादी संकुचित धार्मिक धारणाओं और पूर्वाग्रहों के खिलाफ जाता है ए और ऐसे लोग उस पर शाब्दिक लावलश्कर लेकर रट्टू तोते की तरह चढ़ाई यह कहते कर देते हैं कि इससे धर्म को खतरा है. हमारी संस्कृति नष्टभृष्ट करने की साजिश रची जा रही है. लिहाजा संस्कृति के ठेकेदार होने के नाते हम इस का विरोध करते हैं.
क्यों ए लोग मशहूर अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह को एक संवेदनशील मुद्दे पर घेर रहे हैं इसे जानने से पहले इनके विचारों को थोड़े से में समझ लें तो स्पष्ट हो जाएगा कि अपने अपने पेशे में गहरा दखल पकड़ और नालेज रखने वाले ए लोग दरअसल में भगवा गैंग के बौद्धिक मोहरे हैं.जो धर्म या संस्कृति संबंधी कोई भी मसला या विवाद खड़ा होने पर वही भाषा बोलने लगते हैं जो संघी और भाजपाई बोलते हैं. यही भाषा हिंदूराष्ट्र को मुहिम की शक्ल देने वाले धर्मगुरु बोलते हैं, धीरेधीरे यही भाषा और उसके विचार जिनका स्रोत धर्म ग्रंथ ही होते हैं सड़क चौराहों और चौपालों तक को जकड़ लेती है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन





