पिंकी जैसी लड़कियां भले ही खुद पर कितना भी कौन्फीडेंस रखती हों, लेकिन सच्चाई यह है कि अपने कौन्फीडेंस की वजह से वे किसी न किसी के जाल में फंस ही जाती हैं. पिंकी सोचती थी कि वह जब चाहे रीतेंद्र सिंह उर्फ बउआ ठाकुर की हकीकत सामने ले आएगी. लेकिन उसे नहीं मालूम था कि वह मगरमच्छ है.

मंजू गुप्ता अपने पति किशन गुप्ता के साथ समाधान दिवस पर कानपुर के थाना चकेरी पहुंची. उस समय एसएसपी अखिलेश कुमार मीणा, एसपी (पूर्वी) सुरेंद्र कुमार दास, सीओ अजीत प्रताप सिंह और थानाप्रभारी अजय सेठ थाने में ही मौजूद थे. थाना परिसर में फरियादियों की भीड़ लगी थी और अधिकारी बारीबारी से उन की समस्याएं सुन कर निदान करने की कोशिश कर रहे थे.

फरियादियों में नेताजी नगर निवासी मंजू गुप्ता भी थी. बारी आने पर जब वह एसएसपी अखिलेश कुमार मीणा के सामने पहुंची तो अपनी लिखित फरियाद देते हुए फफक कर रो पड़ी. रोतेरोते उस ने कहा, ‘‘साहब, हमारी बेटी पिंकी उर्फ आंचल को घर से गायब हुए डेढ़ साल से ज्यादा हो चुका है लेकिन अभी तक उस का कुछ पता नहीं चला. पता नहीं वह जिंदा है भी या नहीं. उस की गुमशुदगी और अपहरण की रिपोर्ट थाने में दर्ज है.’’

एसएसपी मीणा ने मंजू गुप्ता को भरोसा दिया कि वह उस की बेटी पिंकी की खोज कराएंगे और वह जहां भी होगी, बरामद की जाएगी. आश्वासन पा कर मंजू गुप्ता पति के साथ घर वापस आ गई. हालांकि एसएसपी के आश्वासन पर उन्हें यकीन नहीं था, क्योंकि अब तक वे लोग आईजी, डीआईजी से ले कर डीएम व कमिश्नर तक की चौखट पर दस्तक दे चुके थे, पर किसी ने भी उन की मदद नहीं की थी. फिर भी एसएसपी के आश्वासन पर उन के मन में आशा की एक नई किरण तो जागी ही थी. यह बात 21 जुलाई, 2018 की है.

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