राइटर- चिरंजीव सिन्हा

"पापा, आप को याद है न. कल इस सेशन की लास्ट पीटीएम है. मैम, फाइनल ऐग्जाम के लिए बहुत सारी बातें बतानी वाली हैं. आप को और मम्मी को समय से आना है," 4वीं में  पढ़ने वाली लहर पापा से लाड़ से बोली.

"हां, बेटा, जरूर. अपनी लविंग डौल की बात भला मैं कैसे भूल सकता हूं?'' उस के बालों को प्यार से सहलाते हुए विभव ने जब उसे प्रौमिस किया तो नन्ही लहर की खुशी का ठिकाना न रहा.

''पक्का वाला प्रौमिस न. पिछली बार की तरह भूल तो नहीं जाओगे?'' उस के मन में पिछले पीटीएम में विभव के न आने से एक हलकी सी शंका अभी तैर रही थी.

''अरे, पक्का. इस बार कोई मिस्टेक नहीं होगी,'' यह लहर के पापा ऐडिशनल डीसीपी विभव मल्होत्रा का अपनी बिटिया से कमिटमैंट है,'' विभव ने ऐङियां बजाते हुए लहर को सैल्यूट ठोंका.

''यह हुई न बात,''  हाईफाई के लिए उठे लहर के नन्हे हाथों को पापा के हाथों का साथ मिल गया.

''अरे, बेटा 1 मिनट. मम्मा को तो तुम ने याद दिला दिया है न?''

''हां,  मैं उन्हें आप से पहले ही बता चुकी हूं और उन से पक्का वाला प्रौमिस भी ले चुकी हूं," अपने होंठों को गोल करते हुए उस ने विभव को शरारत में चिढ़ाया.

पापबिटिया की अभी बातचीत चल ही रही थी कि दरवाजे पर स्कूल वैन की हौर्न सुनाई पड़ी.

''अरे, चलोचलो, स्कूल का टाइम हो गया है,'' नव्या किचन से टिफिन बौक्स ले कर निकलती हुई लहर के बैकपैक में रखते हुए बोली, "बाकी बातें घर आ कर कर लेना."

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