उत्तरप्रदेश के जिस अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग का होहल्ला लगातार उठ रहा है, वहां के मंदिर में महंत द्वारा एक औरत की अस्मत लूटने पर खामोशी दिख रही है. राजनीतिक दल, धार्मिक संगठन चुप्पी साधे बैठे हैं. मंदिरों, मठों में बैठे लंपटों, दुष्कर्मियों के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठती सुनाई पड़ रही.
अयोध्या में आध्यात्म का ज्ञान लेने मुगलसराय से आई एक महिला के साथ चंद्रहरि महादेव मंदिर के महंत कृष्णकांताचार्य ने दुष्कर्म किया और महिला को मंदिर में बंधक बना लिया.
पुलिस के अनुसार महिला मुगलसराय की रहने वाली है. पति ने उसे छोड़ दिया था. इस से वह डिप्रेशन में थी. इसी बीच किसी ने उसे अयोध्या जा कर अध्यात्म में मन लगाने की सलाह दी. इस पर वह 24 दिसंबर को अयोध्या आई थी.
स्टेशन पर उस ने आटोरिक्शा वाले से किसी मंदिर में अच्छे साधु से मिलाने और रहनेखाने के बारे में पूछताछ की तो उसे चंद्रहरि मंदिर में पहुंचा दिया गया. महिला यहां रहने लगी और उस ने महंत को अपनी परेशानियां बताई. महंत ने महिला के रहने और खाने का इंतजाम कर दिया.
अयोध्या में इस दौैरान मोरारी बापू की 9 दिवसीय रामकथा मानस गणिका चल रही थी. महिला मोरारी बापू की यह रामकथा सुनने भी दो दिन गई थी. इसी बीच महंत ने उसे अपनी हवस का शिकार बना लिया.
महिला ने महंत के चंगुल से भागने की कोशिश की पर उसे कमरे में बंद कर दिया गया. मौका देख कर उस ने 100 नंबर पर पुलिस को फोन किया. पुलिस जब चंद्रहरि मंदिर में पहुंची तो महिला कमरे के अंदर थी और बाहर से ताला लगा हुआ था. पुलिस ने बंधक महिला को छुड़ाया और दबिश दे कर महंत कृष्णकांताचार्र्य को गिरफ्तार किया.
अयोध्या में यह पहली बार नहीं है जब मंदिर में किसी बाबा ने बलात्कार किया हो, 2017 में जानकी निवास मंदिर में रह रही एक महिला और उस की बेटी के साथ 5 साधुओं द्वारा बलात्कार की घटना सुर्खियों में रही थी.
आमतौर पर धर्मस्थलों को सब से सुरक्षित जगह समझा जाता है और मंदिरों, मठों में रहने वाले साधुसंतों को सब से शरीफ पर अब यही जगह और धर्म का चोला पहने ढोंगी महिलाओं का यौनशोषण करने में सब से अधिक कुख्यात हो रहे हैं. महिलाएं न घर में सुरक्षित हैं, न बाहर और न ही धर्मस्थलों में.
आसाराम, रामरहीम, रामपाल जैसे ढोंगी जेलों में होने के बावजूद महिलाओं की आंखें नहीं खुल रहीं. साधुओं, बाबाओं की शरण में अपनी अस्मतें गंवा रही हैं. धर्म को सब से सुरक्षित शरणस्थली और धर्मगुरुओं, बाबाओं को मोक्ष, पुण्य का जरिया मान बैठीं महिलाओं को ही सोचना होगा कि वह ऐसी जगह जाए ही क्यो