धर्म ताश के पत्तों के महल की तरह है इसीलिए धर्म की जरा सी बुराई से धर्म के ठेकेदार थर्रा उठते हैं और इकट्ठा हो कर होहल्ला मचाने लगते हैं. उन्हें भय इस बात का रहता है कि धर्म की बुराई से कहीं पोलपट्टी न खुल जाए. धर्म और उन के ठेकेदारों की असलियत सामने न आ जाए.

पाकिस्तान में इन दिनों ऐसा ही हो रहा है. यहां के सुप्रीम कोर्ट ने ईशनिंदा के मामले में एक ईसाई महिला आसिया बीबी को बरी कर दिया तो देश भर में प्रदर्शन और हिंसा का दौर शुरू हो गया. मूरखों की भीड़ सड़कों पर आ गई. कट्टरपंथी संगठनों के नेता और उन की पिछलग्गू जमात जजों के खिलाफ प्रदर्शन करने लगी.

पाकिस्तान में कई जगहों पर आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाएं हुईं. 4 राज्यों में धारा 144 लागू करनी पड़ी. कई इलाकों में सरकार को इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई. कुछ राज्यों में टे्रनें और स्कूलें भी बंद कर दी गईं. पंजाब प्रांत में हाई अलर्ट घोषित किया गया. लाहौर, कराची, पेशावर, फैसलाबाद समेत 10 से अधिक बड़े शहरों में पुलिस ने कफ्यू लागू कर दिया और 10 नवंबर तक जनसभाएं करने पर भी रोक लगा दी गई है.

अदालत ने आसिया की फांसी की सजा को जैसे ही पलटा, कई शहरों में मस्जिदों से लोगों को इकट्ठा होने के ऐलान होने लगे. कुछ ही देर में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और आगजनी करने लगे. प्रदर्शनों के कारण कई हाईवे बंद कर दिए गए.

कट्टरपंथियों ने यहां तक कह दिया कि जज और सेना प्रमुख मुसलमान ही नहीं हैं. हालात इतने बिगड़ गए कि प्रधानमंत्री इमरान खान को सामने आना पड़ा. उन्होंने कहा कि जजों ने जो फैसला दिया है, वह इस्लामी कानून के मुताबिक ही है. इसे सभी को स्वीकार करना चाहिए.

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