पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2010 में हुए एंगलोइतालवी कंपनी अगस्ता वैस्टलैंड के साथ हुए 12 एडब्लू-101 वीवीआईपी हैलिकौप्टर्स सौदे में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल के दुबई से भारत में प्रत्यर्पण को भले ही मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है, मगर इस जीत के पीछे एक महिला की आजादी और उस के मानवाधिकार को रौंदने वाली क्रूर कहानी को अनसुना नहीं किया जा सकता है.

बोफोर्स तोप घोटाले में दलाली के आरोपी इतावली व्यवसायी ओतावियो क्वात्रोची को भले ही कभी भारत न लाया जा सका, मगर ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण में सफल रही मोदी सरकार अपनी इस उपलब्धि पर फूली नहीं समा रही है.

भारत लाए गए क्रिश्चियन मिशेल पर आरोप है कि उस ने 3,600 करोड़ रुपए की हैलिकौप्टर डील में 360 करोड़ रुपए की रिश्वत से गांधी परिवार और यूपीए सरकार के कई मंत्रियों की जेबें गरम कीं. हालांकि इन सभी आरोपों को मिशेल लगातार नकार रहे हैं. वे फिलहाल सीबीआई की हिरासत में हैं.

क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण का सेहरा प्रधानमंत्री मोदी के जेम्स बौंड अजीत डोभाल के सिर बंधा है. कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एक साल पहले एक क्रैक टीम बना कर इस मिशन को आखिर सफल बनाया.

गौरतलब है कि क्रिश्चियन मिशेल के खिलाफ रैड कौर्नर नोटिस 2015 से जारी है. डोभाल ने मिशेल के प्रत्यर्पण के लिए एक टीम गठित की थी, जिस में सीबीआई के जौइंट डायरैक्टर साई मनोहर समेत कुल 4 सदस्य शामिल थे. इस टीम में सीबीआई के अलावा रौ के अधिकारी भी शामिल थे.

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