साल 2016 में डेंगू से हुई एक व्यक्ति की मौत पर कोर्ट ने एतिहासिक फैसला सुनाया है.
यह मामला साल 2016 की है जब एडवोकेट बीपी मिश्रा के बेटे को अस्पताल में भरती कराया गया पर उसे डेंगू है, यह डाक्टरों की टीम नहीं जान सकी. लापरवाही का घोर आलम तो यह रहा कि जिस व्यक्ति को डेंगू था उसे इस से संबंधित दवा न दे कर ऐसी दवाएं दी गईं जो इस बीमारी के लिए घातक होती हैं.
गलत इलाज से पीड़ित की मौत हुई तो पिता बीपी मिश्रा ने कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई और जनहित याचिका दायर कर दी.
कोर्ट का फैसला
मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में चला और कोर्ट ने मृत व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया और उस के परिवार वालों को 25 लाख रूपए देने का आदेश दिया.
इतना ही नहीं कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को डेंगू की रोकथाम और जरूरी उपाय करने के भी आदेश दिए ताकि किसी की मौत डेंगू से न हो.
मालूम हो कि एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका समेत दुनिया की तकरीबन आधी आबादी हर साल डेंगू की चपेट में है और लाखों लोग इस रोग की चपेट में आ जाते हैं. इन में सैकड़ों लोग अपनी जिंदगी भी गंवा बैठते हैं.
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कई शहर हैं चपेट में
इस रोग की चपेट में वही इलाके आते हैं जहां पानी निकासी की समस्या हो, बेतरतीब शहरीकरण और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भी डेंगू तेजी से पैर पसारता है.
साल 1970 से इस रोग का तेजी से फैलना शुरू हुआ और अब कई शहर इस की चपेट में हैं.
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