सरकार से उम्मीद तो यह रहती है कि वह आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को बेवजह कठिन न बनाए लेकिन अगर कायदेकानूनों और नियमों की आड़ में सरकार लोगों को चोर साबित करने पर उतारू हो जाए तो कोई क्या कर लेगा...

सरकार यही रही और प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री भी यही रहे, जो हैं, तो अगले साल आप को मुमकिन है कि इस बात का भी ब्योरा देना पड़े कि सुबह नाश्ते से ले कर रात के डिनर तक में आप ने क्या खाया था और उस की कीमत कितनी थी. फिर सरकार तय करेगी कि आप ने कहीं निर्धारित आमदनी से ज्यादा का तो नहीं खाया और अगर खाया पाया गया तो आप को सजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि आप ने बेईमानी की है.

ऐसा करने के पीछे मुकम्मल साजिशें और वजहें हैं जिन में से ताजीताजी यह है कि आइंदा आप को अपने आयकर रिटर्न में अपनी आय के तमाम छोटेबड़े स्रोतों की जानकारी देनी होगी, मसलन-

आप का कोई किराएदार है तो आईटीआर में उस का नाम और किराया देना होगा. यह जानकारी आप इसलिए नहीं छिपा सकते क्योंकि किराएदार पहले ही उस का टीडीएस काट चुका होगा. यह नियम एक लाख रुपए सालाना तक के किराए पर लागू होगा.

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इस पर भी तुर्रा यह, कि किराएदार के पैनकार्ड का भी इंतजाम मकानमालिक को ही करना होगा.

अपनी कृषिआय की जानकारी पूरे विस्तार से देनी होगी. आप को आईटीआर में यह दर्ज करना ही होगा कि आप के पास कितनी जमीन है और उस में से कितनी सिंचित व कितनी असिंचित है. इस बाबत आप को खसरे की प्रति नत्थी करनी पड़ेगी.

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