अटारी वाघा बौर्डर की चैक पोस्ट के नजदीक मार्च, 2017 को लगाए गए 360 फुट ऊंचे तिरंगे झंडे की अपनी अहमियत है. लेकिन इस के फट जाने और बारबार बदले जाने के चलते हो रहे लाखों रुपए के खर्च की खबरें सुर्खियों में रही हैं. इस तिरंगे झंडे की खूबी यह है कि यह दुनिया का 10वां सब से ऊंचा झंडा भी है, पर लंबे समय तक इस के नहीं दिखने के बीच कहा जाने लगा कि अफसरों ने तिरंगा लगाने से पहले तकनीकी चीजों का खयाल नहीं रखा. इस मामले में लापरवाही बरतने का एक आरोप भी अमृतसर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट (एआईटी) ने लगाया और सरकार से गुजारिश की है कि वह इस मामले में जांच करे कि आखिर एक महीने में ही यह झंडा 3 बार कैसे फट गया, जबकि झंडे को 3 बार बदला भी गया?

याद रहे कि अटारी के तिरंगे से पहले देश के सब से ऊंचे तिरंगे के रूप में झारखंड की राजधानी रांची के पहाड़ी मंदिर पर 293 मीटर ऊंचे तिरंगे का नाम दर्ज था.

तिरंगे को एक खास आदर से देखा जाता है, लेकिन इधर कुछ अरसे में देश के अलगअलग हिस्सों में ऊंचा तिरंगा फहराने के सिलसिले में तिरंगे के फटने या झुकने की घटनाएं हुई हैं, उस से यह सवाल पैदा हो गया है कि देशभक्ति दिखाने के चक्कर में ऐसी घटनाएं कहीं इस राष्ट्रीय प्रतीक के असम्मान की वजह तो नहीं बन गई हैं?

देश में हर नागरिक को अब अपनी मनचाही जगह पर तिरंगा फहराने और उस के प्रति सम्मान जाहिर करने की आजादी मिली है. अब यह जरूरी नहीं रहा है कि तिरंगा सिर्फ सरकारी इमारतों पर फहराया जाए और किसी खास मौके पर यानी 26 जनवरी व 15 अगस्त को ही इसे लहरानेफहराने की छूट मिले.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...