एक तरफ हमारा देश विज्ञान के क्षेत्र में नईनई खोजें कर रहा है, जिस से जीवन को आसान किया जा सके, वहीं दूसरी तरफ हमारे देश के बहुत से किसान आज भी जादूटोनों और तंत्रमंत्रों से ही बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. बस्ती जिले के किसान कैलाश ने अपने खेतों में धान की बोआई की ही थी कि हलकीहलकी बारिश शुरू हो गई. उस ने तुरंत अपनी पत्नी से कहा कि बीज डालते ही बारिश होने लगी है. तुम जल्दी से काना बांध दो, जिस से बारिश बंद हो जाए. उस की पत्नी फौरन एक सफेद कपड़े को ले कर गांठ बांधने लगी और गांव के कुछ काने लोगों के नाम बोलने लगी.

एक बार थरौली गांव का राम कुमार अपनी मां की बीमारी की वजह से समय पर अपने गेहूं की फसल की मड़ाई नहीं कर पाया और बारिश होने से उस की सारी फसल बरबाद हो गई. तब गांव के कुछ धर्म के ठेकेदारों ने यह कहना शुरू कर दिया कि रामकुमार ने धान की फसल कटने के बाद कालीजी व शंकर भगवान को चढ़ावा नहीं चढ़ाया इसलिए भगवान ने नाराज हो कर उस की फसल खराब कर दी. इस तरह के तमाम उदाहरण हमारे आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद हैं.

वसूली का तरीका : इस तरह की गलतफहमियां फैला कर के और भगवान व ग्राम देवता का डर दिखा कर ये धर्म के ठेकेदार फसल कटने के बाद किसान के घर में अनाज जाने से पहले देवीदेवताओं के नाम पर अपना हिस्सा वसूलते हैं. किसान श्रीधर शुक्ल ने बताया कि उन के यहां कोई भी फसल होती है, तो वे सब से पहले गोसाई बाबा और पंडितजी को बुला कर उन की खलिहानी (हिस्सा) उन को निकाल कर दे देते हैं और उस के बाद ही अनाज को घर के अंदर ले जाते हैं. जब भी उन के छप्पर पर कोई लौकी या कद्दू फलता है, तो भी वे पहले फल को भगवान को चढ़ा कर पंडितजी या गोसाई बाबा को दान देते हैं, जिस से भगवान की कृपा उन पर बनी रहे और उन की फसल अगले साल और अच्छी हो. यह अजीबोगरीब हाल किसी खास इलाके का नहीं है, बल्कि पूरे हिंदुस्तान का है.

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