बिहार सरकार पंचायतों को मजबूत बनाने के लिए उन्हें टैक्स वसूलने का अधिकार देगी. इस दिशा में पंचायतीराज विभाग ने नियमावली बनाने की कार्यवाही शुरू कर दी है. राज्य पंचायती राज अधिनियम 2006 के तहत प्रस्ताव पास कर पंचायतों को टैक्स वसूली का अधिकार दे कर माली रूप से मजबूत बनाने की कवायद शुरू की गई है.

पंचायती राज विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस सिलसिले में वित्त विभाग से सहमति मांगी गई है. प्रस्ताव के मुताबिक कमर्शियल और आवासीय भवनों व सेवाओं के लिए पंचायतें अपने क्षेत्र में टैक्स वसूलने का काम करेंगी. इस से छोटी पंचायतों को कम से कम 10 हजार रुपए और बड़ी पंचायतों को 1 लाख रुपए तक की कमाई हर महीने हो सकती है. प्रस्ताव के लागू होने के बाद पंचायतें हर साल टैक्स वसूली की समीक्षा कर के कमाई को बढ़ाने का उपाय कर सकेंगी.

पंचायतें रिक्शा, ठेलागाड़ी, घोड़ागाड़ी और बैलगाड़ी जैसे वाहनों से टैक्स वसूल सकेंगी. इस के अलावा मेलों में सामान बेचने वालों और सेवा मुहैया कराने वालों से भी टैक्स वसूली की जाएगी. हर घर में पाइप से पानी सप्लाई करने के बदले भी पंचायतें टैक्स लेंगी.

देश में राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में पंचायतों को टैक्स वसूली का अधिकार मिला हुआ है. केरल को पंचायती राज संस्थाओं द्वारा टैक्स वसूली का मौडल माना जाता है.           

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