सवाल

मैं 45 साल की विवाहित महिला हूं. जब 28 साल की थी तो मां को ब्रैस्ट कैंसर हुआ था और ठीक से इलाज न मिल पाने के कारण वे कुछ ही महीनों में चल बसी थीं. तभी से मुझे यह डर सताता है कि कहीं मुझे भी यह रोग तो नहीं हो जाएगा. मैं ने सुना है कि मां को ब्रैस्ट कैंसर होने पर बेटियों में कैंसर होने के चांसेज बढ़ जाते हैं. यदि यह बात सच है तो मुझे ऐसे क्या उपाय करने चाहिए जिन से मैं इस रोग से बच जाऊं? मेरी भरीपूरी गृहस्थी है. डरती हूं कहीं सब कुछ बिखर न जाए.

जवाब

यह बात सच है कि अगर किसी स्त्री की मां, मौसी या बहन को ब्रैस्ट कैंसर हुआ हो, तो उस में यह कैंसर होने का रिस्क थोड़ा बढ़ जाता है. यह रिस्क ब्रैस्ट कैंसर प्रेरक जीन्स से जुड़ा होता है, जिस पर किसी का वश नहीं चलता, चूंकि ये जीन्स हमें उसी समय मिल जाते हैं जब हम मां के पेट में आते हैं.

लेकिन यह जान कर आप को अपना चैन नहीं गवांना चाहिए. खास जानने लायक बात यह है कि ऐसी स्त्रियां जिन के परिवार में पहले मां, मौसी या बहन को ब्रैस्ट कैंसर हुआ होता है, उन में 10 में से 8 को यह कैंसर नहीं होता. अत: रिस्क अधिक होने पर भी इतना गंभीर नहीं कि उस की बाबत चिंता में ही डूबी रहें.

इस रिस्क को घटाने के लिए आप थोड़ी अतिरिक्त सावधानी भी बरत सकती हैं. अच्छा होगा कि आप सैल्फ ब्रैस्ट जांच की सरल घरेलू विधि सीख लें. हर महीने कम से कम 1 बार घर शीशे के सामने खड़े हो कर और लेट कर स्वयं अपनी ब्रैस्ट जांच कर के आप यह पता लगा सकती हैं कि किसी स्तन में कहीं कोई गांठ तो नहीं बन रही. यदि कभी कोई गांठ महसूस हो तो तुरंत उस की डाक्टरी जांच कराएं. इस में जरा सी ढील न बरतें. इस के साथसाथ वार्षिक डाक्टरी जांच कराते रहना भी अच्छा है. कुछ लोग मैमोग्राफी, ब्रैस्ट अल्ट्रासांउड और ब्रैस्ट एमआरआई जांच कराने की भी सलाह देते हैं. कुल निचोड़ यह है कि यदि रोग अंदर शुरू हो, तो उसे बिलकुल आरंभिक अवस्था में ही पकड़ लिया जाए, बढ़ने न दिया जाए.

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