निर्माता रामानंद सागर के धार्मिक धारावाहिक ‘रामायण’ के एक दृश्य में रावण का दरबार लगा है. चर्चामंत्रणा इस बात पर हो रही है कि एक मामूली बंदर आखिर कैसे सोने की लंका जला गया. होतेहोते बात विभीषण पर होने लगती है कि आखिर उस का भवन कैसे बच गया. हनुमान ने उसे नुकसान क्यों नही पहुंचाया. रावण का बेटा मेघनाथ शक जाहिर करता है कि काका विभीषण, राम से मिले हुए हैं. उलट इस के, रावण का ससुर माल्यवान दामाद को समझाता है कि युद्ध खत्म कर दिया जाए क्योंकि जब राम का दूत इतना शक्तिशाली है तो खुद राम कितने ताकतवर होंगे. इस का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.

रावण नहीं माना लेकिन समझने वालों को यह समझ आ गया कि चूंकि विभीषण के महल में राम नाम की सिक्योरटी प्लेट लगी थी, उस के लौन में तुलसी का पौधा लगा था, और तो और, उस के घर विष्णु के पवित्र चिन्ह, मसलन शंख, गदा और चक्र भी थे, इसलिए हनुमान ने उसे बख्श दिया.

कलियुग की लोकतांत्रिक रामायण का ताजा पहलू यह है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बच गए हैं. हनुमानरूपी ईडी से बचने के लिए उन्होंने सीधे सरकार की शरण ले ली और धर्मभतीजे तेजस्वी को बलि के बकरे की तरह आगे कर दिया है. अपनी निष्ठा जताने को उन्होंने ताजा बयान यह दिया है कि राहुल गांधी बेतुके और निराधार बयान दे रहे हैं. जातिगत जनगणना का आइडिया कांग्रेस का नहीं बल्कि हमारा था. असल में अपनी न्याय यात्रा के बिहार में दाखिल होते ही राहुल ने नीतीश की दुखती रग पर हाथ यह कहते रख दिया था कि हम समझ सकते हैं कि उन पर दबाव था.

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