साल 2016 ख़त्म होने को था, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश को फतेह करने के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर था. भाजपा लीड में लग रही थी. प्रधानमंत्री मोदीजी की सूबे में धडाधड रैलियां चल रही थी. 11 दिसंबर आया, मोदीजी की बहराइच में परिवर्तन रैली थी. खराब मौसम के कारण मोदीजी का चोपर लैंड नहीं कर पाया लेकिन जो भाषण कहने की वे ठान के आए थे उसे जरूर कहा. बस विधा बदली और अपना भाषण मोबाइल से दे दिया.

भाषण के मुख्य बिंदु में से एक उत्तरप्रदेश में चल रहे “गुंडाराज” को लेकर था. उन्होंने अपनी बात में कहा “अगर भाजपा सत्ता में आती है तो वह भरोसा देते है कि प्रदेश में चल रहे गुंडाराज को ख़त्म कर देंगे.” उन्होंने आगे कहा “आज यहां गुंडाराज है, हर कोई इससे तंग आ चुका है. यहां तक कि पुलिस भी इसे रोकने में नाकाम रही है.” गुंडाराज को लेकर इसी तरह की बातें भाजपा के दुसरे नेता भी अपने चुनाव प्रचार में करते रहे. खैर, इन बातों की अपने आप में एहमियत तो थी. लोग बदलाव चाहते भी थे. लोगों ने बदलाव पा भी लिया. लेकिन सवाल यह कि क्या यह सिर्फ सत्ता का बदलाव था या गुंडाराज में भी बदलाव हो पाया? क्या अब अपराध ख़त्म हो गए या पहले से कम हो गए?

2019 के असेंबली चुनाव चल रहे थे. तब भाजपा के स्टारप्रचारात्क व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 3 मई को रायबरेली में एक सभा संबोधित करते है. और वे फिर गुंडाराज पर बात करते हुए यहां तक कह देते हैं कि “भाजपा सरकार ने अराजकता ख़त्म कर दी है, पिछली सरकारों से चलती आ रही गुंडागर्दी ख़त्म हो गई, अब प्रदेश में शांति स्थापित हो चुकी है.” अब “शांति” को समझने की भी जरुरत है. क्या यह परिवार में हुई किसी सदस्य की मौत के बाद पसरे सन्नाटे वाली शांति है? खैर, इसपर विचार करना आज के समय में अत्यंत जरुरी है. लेकिन अगर योगी की माने कि गुंडाराज ख़त्म हो गया तो विकास दुबे कौन सी बला निकली जो इन दिनों मीडिया में सुर्खियाँ बटोर रहा है?

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