राष्ट्रीय उत्सुकता, चिंतन और रिसर्च का विषय बन गए पनौती शब्द को ले कर देश भर के लोग हैरान हैं कि आखिर यह है क्या बला. हर किसी ने पनौती शब्द कभी न कभी सुना जरुर था लेकिन इस का सटीक अर्थ हर किसी को नहीं मालूम.
मौटे तौर पर समझा यही जाता है कि यह कोई अच्छा शब्द नहीं है इसलिए इस के भाव भी अच्छे नहीं है, अब यही शब्द राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इस्तेमाल कर दिया तो खासा बवंडर मच गया.
प्रधानमंत्री मोदी अहमदाबाद में हुए आस्ट्रेलिया और भारत के वर्ल्ड कप फाइनल को देखने पहुंचे थे और 10 मैच जीत चुकी भारतीय टीम यह मैच हार गई और वह भी 6 विकटों से. इस से क्रिकेट भक्त चिढ़ गए हैं. नरेंद्र मोदी की उपस्थिति को हार का कारण वही अंधविश्वासी बता रहे हैं जो हर मामले में भाजपा भक्त रहते रहे हैं.
भाजपा ने इस शब्द को बतौर खिताब लेने से मना कर दिया और पहुंच गई सीधे चुनाव आयोग, जहां होना जाना कुछ नहीं है क्योंकि पनौती कोई गाली नहीं है ठीक वैसे ही जैसे मूर्खों का सरदार कहना गाली नहीं है.
ये शब्द तो नेताओं द्वारा एकदूसरे के लिए `मोहब्बत' इजहार व्यक्त करने के अपनेअपने मनोभाव, कुंठा और ख्यालात भर हैं.
कोई शब्दकोश टटोल रहा है तो कोई मूर्धन्य साहित्यकारों की चिचोरी कर रहा है. 48 घंटों में पनौती पर जो शोध हुआ है उस से निम्नलिखित निष्कर्ष सामने आए हैं. सामने यह भी आया है कि अपने आराध्य को पनौती के ख़िताब से नवाज दिए जाने पर भगवा गैंग तिलमिलाई हुई क्यों है.