पिछले कई मामलों में यह देखा गया कि देश के अलगअलग राज्यों में विधानसभाओ में सदन सत्र के दौरान कई सदस्य मोबाइल पर आपत्तिजनक समाग्री देखते पाये गए थे. कई बार सरकार का विरोध करने के लिये झंडे, बैनर और तख्ती लहराने की घटनाएं घटी थी. कई बार सदस्य सदन की कार्यवाही में गंभीरता से हिस्सा न ले कर मोबाइल देखते रहते थे.

इसलिए उत्तर प्रदेश की सरकार ने विधानसभा में प्रवेश के नए नियम बना रही है. जहां मोबाइल, झंडा और बैनर पर प्रतिबंध लग रहा है वहीं गुटखा और खैनी को ले कर भी प्रतिबंध लगना चाहिए. पिछले दिनों सदन में खैनी खाने को ले कर भी सोशल मीडिया पर बहुत हल्ला मचा था.

उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार 66 साल के बाद नियमों में बदलाव करने जा रही है. इस के तहत विधानसभा में मोबाइल फोन, झंडे और बैनर ले कर जाना मना होगा. विधानसभा में विधायक मोबाइल फोन नहीं ले जा सकेंगे. इस का कारण यह बताया जा रहा है कि इस से सदस्यों के आचरण को सुधारने में मदद मिलेगी और सदन के कामकाज संचालन की प्रक्रिया सरल बन सकेगी.

नए नियमों के अनुसार सदस्य सभा में झंडे, प्रतीक या कोई वस्तु प्रदर्शित नहीं करेंगे. सदस्यों को नए नियमों के अनुसार सदन के अंदर किसी भी दस्तावेज को फाड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी. यूपी विधानसभा अध्यक्ष महाना के अनुसार नियमावली पर चर्चा के बाद इस के पारित होने उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली, 2023, उप्र विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली, 1958 का स्थान ले लेंगी.

विधानसभा सदन भाषण देने के लिये होता है. ऐसे में वहां पर झंडा और बैनर दिखा कर विरोध करने की वजह सही नहीं लगती है. इस से लोगों का ध्यान प्रभावित होता है. सुनने वाले को सही बात समझ में नहीं आती है. मोबाइल, झंडा और बैनर के साथ ही साथ कई खास किस्म का संदेश देने या विरोध प्रदर्शन के लिए कपड़े पहन कर सदस्य आ जाते हैं. यूपी विधानसभा में पिछली बार तब हंगामा मचा था जब कुछ सदस्य काले रंग के कपडे पहन कर आ गए थे. इस तरह के काम भी नहीं होने चाहिए.

यह भी नियम बनना चाहिए क्या कि धार्मिक पोशाक पहन कर कोई भी सदस्य विधानसभा या संसद में नहीं आए क्योंकि हमारा संविधान सेक्यूलर है? शायद इस पर भाजपा राजी नहीं होगी क्योंकि वह तो धर्म राज लाना चाहती है जिस में सिर्फ धार्मिक पोशाक दिखे. मोबाइल और बैनर विधानसभा में भाजपा की पोल खोल रहे हैं.

सच बात यह है कि नियम बनते है पर इन का सख्ती से पालन नहीं होता. विधायकों की चैकिंग नहीं होती है. वह अंदर कुछ भी ले कर चले जाते हैं. इस को भी देखा जाना चाहिए. अगर विधायकों की भी सघन चैकिंग की व्यवस्था हो तभी इस तरह के नियमों का बनाना सही हो सकेगा.

विधानसभा में प्रवेश जैसे नियम मंत्री, विधायक और सांसद द्वारा उदघाटन और शिलान्यास को ले कर नहीं बनने चाहिए जिस से विवाद न हो सके ?

अभी लोकसभा को ले कर विवाद था कि राष्ट्रपति करे या प्रधानमंत्री. उत्तर प्रदेेश में समाजवादी पार्टी खुल कर आरोप लगाती है कि भाजपा की योगी सरकार अखिलेश यादव के द्वारा कराये गए कामों को अपना बता कर उस का उदघाटन कर रही है. इस तरह के नियम कानून बनने से विवादों से बचा जा सकेगा. जिस सरकार का काम होगा उस के खातें में दर्ज हो सकेगा.

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