जब कोई भाजपा का चेहरा, बड़ा नाम बातोंबातों में अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘ईश्वर’ से भी आगे बताने लगे तो समझने की बात है कि अंदर खाने क्या भावना काम कर रही है. उड़ीसा के पुरी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार संबित पात्रा जो एक समय तो भाजपा के चेहरे माने जाते थे और हर टीवी चैनल पर सुर्खियों में रहते थे डिबेट इन्हीं से प्रारंभ होती थी और इन्हीं पर खत्म होती थी. एक स्थानीय टीवी चैनल से कहने लगे, “भगवान जगन्नाथ मोदी के भक्त हैं.”
यह बात कहना यह बताता है कि संबित पात्रा जैसे मंजे हुए भाजपा के चेहरे की सोच क्या है और आने वाले वक्त में अगर यह सत्ता सीन हो जाएं तो इंतेहा हो जाएगी. शायद यही कारण है कि संबित पात्रा के बातों को सुन कर उड़ीसा राज्य में आक्रोश फैल गया.

फिर जैसा कि बाद में होता है उन्होंने इसे ‘जुबान की फिसलन’ बता दिया. पात्रा की इस टिप्पणी के बाद उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भाजपा से भगवान जगन्नाथ को राजनीति में न घसीटने की अपील कर सदाशयता का परिचय दिया.
लोकसभा चुनाव लड़ रहे संबित पात्रा पुरी में एक रोड शो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शामिल हुए थे. इसी दरमियान एक समाचार चैनल से साक्षात्कार के समय संबित पात्रा ने स्थानीय उड़िया में कहा, “भगवान जगन्नाथ मोदी के भक्त हैं, और हम सभी मोदी के परिवार के सदस्य है.” यह अंध भक्ति की पराकाष्ठा कही जा सकती है, जब पढ़ेलिखे संबित पात्रा जैसे लोग भेड़ बकरी की तरह व्यवहार करने लगे तो समझना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश किस दिशा में जा रहा है.
कुल मिला कर के संबित पात्रा के इस बयान और विवाद के बाद कम से कम उड़ीसा में भाजपा का सुपड़ा साफ होना स्पष्ट दिखाई दे रहा है.
देशभर में आक्रोश दिखा

संबित पात्रा बहुत बातें करते हैं, यह, देश में चर्चा का विषय रहा है. बोलने में उन्हें कोई मात देदे यह आसान नहीं होता. दरअसल, एक शिक्षित और भाजपा के नेतृत्व के संरक्षण में संबित पात्रा ने कुछ ऐसा कह दिया कि सीधासीधा इसे नरेंद्र मोदी की अंधभक्ति कहा जा सकता है और प्रभु जगन्नाथ का घोर अपमान भी.
यही कारण है कि जब लोगों ने संबित पात्रा के मुख से इन शब्दों को सुना तो आक्रोश फैल गया. ऐसे में एक संवेदनशील मुख्यमंत्री का दायित्व नवीन पटनायक में संभाला और उन लोगों को शांत कराया.

नवीन पटनायक ने कहा, “ऐसा कर के पात्रा ने उड़िया अस्मिता को गहरी चोट पहुंचाई है.” वहीं अरविंद केजरीवाल ने कहा, “घमंड की पराकाष्ठा.”
संबित पात्रा ने जब महसूस किया कि यह गलती हो गई है तो बाद में स्पष्ट किया, “यह सिर्फ जुबान फिसलने के कारण हुआ और वह यह कहना चाहते थे, ‘प्रधानमंत्री मोदी भगवान जगन्नाथ के परम ‘भक्त’ हैं.”

नवीन पटनायक ने कहा, “महाप्रभु श्रीजगन्नाथ ब्रह्मांड के स्वामी हैं. महाप्रभु को दूसरे इंसान का भक्त कहना भगवान का अपमान है. यह पूरी तरह निंदनीय है. इस से भावनाएं आहत हुई हैं और दुनियाभर में करोड़ों जगन्नाथ भक्तों तथा उड़िया लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है.”
मुख्यमंत्री पटनायक ने कहा, “भगवान उड़िया अस्मिता के सब से बड़े प्रतीक हैं. मैं इस बयान की कड़ी निंदा करता हूं और मैं भाजपा से अपील करता हूं कि वह भगवान को किसी भी राजनीतिक चर्चा में शामिल न करें. ऐसा कर के आपने उड़िया अस्मिता को गहरी चोट पहुंचाई है और इसे उड़ीसा के लोग लंबे समय तक याद रखेंगे.”
दूसरी ओर कांग्रेस ने भी पात्रा से माफी की मांग की और उन पर भगवान जगन्नाथ के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया. संबित पात्रा ने मुख्यमंत्री के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम सभी की जुबान कभीकभी फिसल जाती है.”
उन्होंने कहा, “आज पुरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो की भारी सफलता के बाद मैं ने कई मीडिया चैनलों को कई बयान दिए. हर जगह मैं ने उल्लेख किया कि मोदी जी श्री जगन्नाथ महाप्रभु के परम भक्त हैं.”

पात्रा ने कहा, “एक बयान के दौरान गलती से मैं ने ठीक इस के विपरीत कह दिया, मुझे पता है कि आप भी इसे जानते और समझते हैं. इसे मुद्दा न बनाया जाए. हम सभी की जुबान कभीकभी फिसल जाती है.”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी भाजपा नेता और पुरी से उम्मीदवार संबित पात्रा के बयान की निंदा की. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मैं भाजपा नेता के इस बयान की कड़ी निंदा करता हूं. वे सोचने लगे हैं कि वे भगवान से ऊपर हैं. यह अहंकार की पराकाष्ठा है. भगवान को मोदी का भक्त कहना भगवान का अपमान है.”
हो सकता है संबित पात्रा अपनी जगह सही हों और उन की जुबान फिसल गई हो मगर जिस तरह की हरकतें भाजपा के नेता करते रहे हैं उस से कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं उन के दिल में जो बात है वह बाहर छलक आता है. दूसरी बात राजनीति में भगवानों को लाने की जरूरत ही क्या है? जैसे एक दफा संबित पात्रा ने कन्हैया कुमार के साथ टीवी डिबेट में नरेंद्र मोदी को देश का माईबाप बता दिया था. तब भी संबित पात्रा की बड़ी आलोचना हुई थी.

दरअसल, देश की बड़े नेताओं और चेहरों से अपेक्षा की जाती है कि वह जो भी कहें बहुत ही सोचसमझ कर के कहें. अगर हम प्रभु जगन्नाथ के संदर्भ में दिए गए बयान की बात करें तो समझने वाली बात है कि जब उन्होंने यह कहा होगा तो थोड़ी ही देर में उन्हें इस का एहसास भी हो गया होगा. वह चाहते तो उसे प्रसारित करने से रोक सकते थे. इसी तरह टीवी चैनल भी आज भक्ति की पराकाष्ठा पर हैं उन के द्वारा भी इसे रोका जा सकता था मगर देखिए इस सब के बाद भी संबित पात्रा का कथन प्रसारित हो गया और उन्हें अपने कदम पीछे करने पड़े. अब भाजपा को तो इस का नुकसान उड़ीसा के साथसाथ अनेक लोकसभा सीटों पर झेलना पड़ सकता है.

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