आगामी सितंबर में कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं. दूसरी तरफ वहां आतंकवादी घटनाएं बढ़ती चली जा रही हैं. ऐसे में आज देश और दुनिया में स्वर उठ रहा है कि तीसरे डब्बे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर की ओर पीठ कर के क्यों खड़े हो गए हैं.
मौजूदा भारत सरकार के प्रयास करने के बाद भी एक बार फिर ऐसा लग रहा है मानो कश्मीर आतंकवाद की राह पर आगे बढ़ता जा रहा है जिसे रोकना अपरिहार्य है. एक ओर जहां आतंकवादी अपनी गतिविधियों से बाज नहीं आ रहे हैं वहीं सरकार शिकंजा कसती चली जा रही है. शायद यही कारण है कि नैशनल कौन्फ्रैंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी हमलों के बाद लोगों की कथित गिरफ्तारी और परेशान करने को ले कर जम्मूकश्मीर प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर सरकार आतंकवाद को खत्म करना चाहती है तो उसे स्थानीय लोगों को अपने साथ लेना होगा.”
अब्दुल्ला ने आगे कहा, “अक्षम जम्मूकश्मीर प्रशासन सिर्फ आम लोगों को गिरफ्तार करना, हिरासत में लेना और परेशान करना जानता है. वह बारबार एक ही गलती करता है और फिर भी अलग नतीजे की उम्मीद करता है. आतंकवाद को खत्म करने के लिए आप को स्थानीय लोगों को अपने साथ मिलाने की जरूरत है, न कि अलगथलग और नाराज करने की. वे अपनी पार्टी नैशनल कौन्फ्रैंस की एक पोस्ट पर टिप्पणी कर रहे थे, जिस में दावा किया गया था कि पिछले कुछ दिनों में हुए आतंकवादी हमलों के मद्देनजर चिनाब घाटी और पीर पंजाल क्षेत्र में आम लोगों को परेशान किया जा रहा है, हिरासत में लिया जा रहा है और गिरफ्तार किया जा रहा है.
“जम्मूकश्मीर नैशनल कौन्फ्रैंस हमेशा शांति के लिए और चरमपंथी ताकतों के खिलाफ खड़ी रही है. इस ने आतंकवाद के कारण अपने हजारों कार्यकर्ताओं को खोया है और उन के दर्द को गहराई से समझती है. मगर चिनाब और पीर पंजाल से आम लोगों को परेशान करने के लिए हिरासत में लेने और गिरफ्तार किए जाने की खबरें आ रही हैं जो बेहद दुखद हैं. इन घटनाओं के बीच देखना होगा कि लंबे समय से कश्मीर में जो प्रतिरोध बना हुआ है, लोकतंत्र बहाली की तरफ लोगों की निगाह है, वह कब पूरी होगी.”
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